छतरपुर का मंदिर दिल्ली के सबसे भव्य मंदिरों में से एक है। मंदिर का जीर्णोद्धार साल 1974 मं संत नागपाल ने कराया था। संत नागपाल का जन्म 10 मार्च 1925 को कर्नाटक में हुआ था। जब उनके माता-पिता का देहांत हो गया था तो एक महिला उन्हें दिल्ली के छतरपुर गांव के निकट दुर्गा आश्रम में लेकर आईं। इस वजह से उन्होंने मां दुर्गा को वास्तविक मां मान लिया।
इस बार विशेष
मंदिर करीब 70 एकड़ में फैला है। यहां मां दुर्गा की तीन बड़ी मूर्तियां हैं, जो अष्टधातु से बनी हैं। भूतल पर शिवमंदिर है। सीढ़ियों से चढ़ने पर राम दरबार, राधाकृष्ण, कृष्ण व बलराम को लिए माता यशोदा की मूर्तियां हैं। अगले चरण में मां दुर्गा की प्रतिमा है। मंदिर इस तरह बना है कि एक से दूसरे मंदिर में जाने के लिए बाहर नहीं निकलना पड़ता है।
मां दुर्गा की भव्य मूर्ति
महिषासुर मर्दिनी कक्ष में एक झूला है, इस पर चरण पादुका रखी है। यहां मां दुर्गा की भव्य मूर्ति है। इसमें उन्हें महिषासुर का वध करते हुए दिखाया गया है। कक्ष में गणेश, लक्ष्मी, कार्तिक व मां सरस्वती की मूर्तियां हैं। नवरात्र व पूर्णिमा के दिन कक्ष के कपाट खोले जाते हैं। यहां माता का शयन कक्ष व बैठक कक्ष भी है। संत नागपाल की यज्ञशाला आज भी है, जिसमें नवरात्र में नित्य हवन होता है। मंदिर के दूसरे हिस्से में 101 फीट ऊंची भगवान हनुमान जी की मूर्ति व कच्छप पर बने श्रीयंत्र पर 600 फीट ऊंची त्रिशूल श्रद्धा का केंद्र है।
ऐसे पहुंचे मंदिर
महरौली-गुरूग्राम रोड पर जाने वाली बसों से मंदिर तक सुगमता से पहुंचा जा सकता है। मंदिर को ध्यान में रखकर मेट्रो स्टेशन छतरपुर के नाम से बनाया गया है। यहां से महज आधे किलोमीटर की दूरी पर मंदिर स्थित है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।