गुरूवार के दिन को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। यह दिन गुरू का अर्थात् श्री सांई बाबा का और भगवान दत्तात्रेय का होता है। इस दिन श्री गजानन महाराज की आराधना भी की जाती है। इस दिन देव गुरू बृहस्पति का पूजन भी किया जाता है। देवगुरू बृहस्पति का पूजन बेहद ही शुभफलदायी है। इस दिन व्रत करने से पुण्यलाभ मिलता है।
देवगुरू प्रसन्न होकर इच्छित वर प्रदान करते हैं। भगवान श्री गुरू को प्रसन्न करने के लिए इस व्रत को पीले गुरूवार के तौर पर किया जाता है। अर्थात् इस दिन पीली वस्तु का दान किया जाता है। तो पीले परिधान पहने जाते हैं। इस दिन पीली वस्तु या पीला मिष्ठान्न भगवान को चढ़ाया जाता है। गुरू महाराज की कथा को सुनना चाहिए।
गुरू के लिए भोजन में भी पीली वस्तुऐं ग्रहण की जा सकती हैं। इस व्रत के ही साथ केले के पौधे में जल डालने से लाभ होता है। देवगुरू बृहस्पति का पूजन और देवगुरू बृहस्पति की आराधना बेहद फलदायी होती है। भगवान बृहस्पति के मंदिर में पूजन कर उन्हें पीली दाल, पीले पुष्प, हल्दी आदि चढ़ाने से श्रद्धालु का विवाह जल्द होता है।
यही नहीं श्रद्धालुओं के सारे काम बन जाते हैं। गुरूवार को दान देना भी बेहद पुण्य प्रदान करता है। गुरूवार के समय शाम को पूजन कर अपना व्रत पूर्ण किया जा सकता है। शाम के समय भोजन कर इस दिन को बृहस्पति भगवान को समर्पित किया जाता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।