पूरे भारत देश में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। इनमें सबसे पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य के सौराष्ट्र नगर में अरब सागर के तट स्थित है और यह सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि यह हर सृष्टि में यहां स्थित रहा है। इस ज्योतिर्लिंग के बारे में कई ऐसी बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं तो आइये सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हुए जानें कुछ अनोखी और खास बातें।
सोमनाथ के वर्तमान मंदिर के दर्शन कीजिए। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में माना जाता है कि चन्द्रमा यानी सोम को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग होने का शाप दे दिया। इस शाप से मुक्ति के लिए शिव भक्त चन्द्रमा ने अरब सागर के तट पर शिव जी की तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर शिव प्रकट हुए और चन्द्रमा को वरदान दिया। चन्द्रमा ने जिस शिवलिंग की स्थापना और पूजा की वह शिव जी के आशीर्वाद से सोमेश्वर यानी सोमनाथ कहलाया।
सोमनाथ मंदिर की दीवारों पर बनी यह मूर्तियां मंदिर की भव्यता को दर्शाती है। स्कंद पुराण के प्रभासखंड में उल्लेख किया गया है कि सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम हर नए सृष्टि के साथ बदल जाता है। इस क्रम में जब वर्तमान सृष्टि का अंत हो जाएगा और ब्रह्मा जी नई सृष्टि करेंगे तब सोमनाथ का नाम ‘प्राणनाथ’ होगा। प्रलय के बाद जब नई सृष्ट आरंभ होगी तब सोमनाथ प्राणनाथ कहलाएंगे।
मंदिर की दीवारों पर भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु की मूर्तियों को देखिए। स्कंद पुराण के प्रभास खंड में पार्वती के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए महादेव कहते हैं कि अब तक सोमनाथ के आठ नाम हो चुके हैं।
सोमनाथ के सेवक नंदी महाराज मंदिर में विराजमान होकर शिव जी का ध्यान कर रहे हैं। स्कंद पुराण में बताया गया है कि सृष्टि में अब तक अब तक छह ब्रह्मा बदल गए हैं। यह सातवें ब्रह्मा का युग है, इस ब्रह्मा का नाम है ‘शतानंद’। शिव जी कहते हैं कि स युग में मेरा नाम सोमनाथ है। बीते कल्प से पहले जो ब्रह्मा थे उनका नाम विरंचि था। उस समय इस शिवलिंग का नाम मृत्युंजय था।
दर्शन कीजिए देवों के देव महादेव सोमनाथ का। महादेव का कहना है कि दूसरे कल्प में ब्रह्मा जी पद्मभू नाम से जाने जाते थे, उस समय सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम कालाग्निरुद्र था। तीसरे ब्रह्मा की सृष्टि स्वयंभू नाम से हुई, उस समय सोमनाथ का नाम अमृतेश हुआ।
यह है सोमनाथ का सुवर्ण द्वार। सोमनाथ मंदिर के बारे में शिव जी कहते हैं कि चौथे ब्रह्मा का नाम परमेष्ठी हुआ, उन दिनों सोमनाथ अनामय नाम से विख्यात हुए। पांचवें ब्रह्मा सुरज्येष्ठ हुए तब इस ज्योतिर्लिंग का नाम कृत्तिवास था। छठे ब्रह्मा हेमगर्भ कहलाए। इनके युग में सोमनाथ भैरवनाथ कहलाए। पुराणों के बाद आइए अब जानें सोमनाथ की कुछ ऐसी बातें जो इतिहास के पन्नों में दबे हुए हैं।
यह है वर्तमान सोमनाथ मंदिर से पूर्व का टूटा हुआ सोमनाथ मंदिर। यह मंदिर कई बार टूटा और कई बार बना। माना जाता है कि वर्तमान सोमनाथ मंदिर से पहले छह बार यह मंदिर बना और टूटा। वर्तमान मंदिर का निर्माण भारत के पूर्व गृहमंत्री लौह पुरुष सरदार पटेल के प्रयास से हुआ।
सोमनाथ मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता भी है कि चन्द्र देव में इस मंदिर का निर्माण सोने से करवाया था। रवि ने चांदी से इसके बाद श्री कृष्ण ने काठ से इस मंदिर का निर्माण करवाया। पहली पर पत्थरों से सोमनाथ मंदिर का निर्माण राजा भीमदेव ने करवाया था।