भगवान शिव के अद्भुत स्वरूप से हमें कई बातें सिखने को मिलती: धर्म

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिनकी पूजा सबसे आसान हैं, वो देवा धी देव महादेव हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है।

इस साल 21 फरवरी,  शुक्रवार के दिन महाशिवरात्रि का पावन पर्व पड़ रहा है। जितने सरल शिव हैं, उतना ही विकट उनका स्वरूप है, जिसका कोई मेल ही नहीं है।

गले में सर्प, कानों में बिच्छू के कुंडल, तन पर वाघंबर, सिर पर त्रिनेत्र, हाथों में डमरू, त्रिशूल और वाहन नंदी। भगवान शिव के इस अद्भुत स्वरूप से हमें कहीं बातें सिखने को मिलती हैं।

यह नेत्र ज्ञानेंद्री का प्रतीक है। हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए और अपने आसपास हो रहे न्याय-अन्याय पर नजर रखनी चाहिए।

कपड़े तन ढंकने के लिए होते हैं और हमेशा ऐसे वस्त्र धारण करने चाहिए जो सुलभ हों। महंगे कपड़े आपको आम लोगों से दूर कर सकते हैं।

हाथ में डमरू हमारी खुद की वाणी है। शिव हमेशा डमरू नहीं बजाते, समय आने पर ही उससे ध्वनि निकलती है। यह सिखाती है कि हमें समय आने पर परिस्थिति को समझ कर ही बोलना चाहिए।

त्रिशुल शिव का हथियार है। त्रिशुल के तीनों फन भूत, भविष्य और वर्तमान को दर्शाते हैं। भगवान शिव का तीनों पर नियंत्रण हैं। हम वर्तमान में जीना चाहिए, भविष्य के लिए योजनाएं बनानी चाहिए और अतीत के अनुभव से सीखना चाहिए। सफलता के ये तीन सूत्र ही त्रिशुल के तीन फन दर्शाते हैं।

इनसे हमें पता चलता हैं कि हमारे आसपास कितने ही बुरे लोग क्यों न हों, अगर आप सही हैं तो वे आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।

घर में सुख- शांति और आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए: धर्म
महाशिवरात्रि पर बम बम भोले के जयकारे से गूंजा भारत: ॐ नम: शिवाय:

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