खुशी और शांति की तलाश सर्वव्यापी है। दुखी कोई भी नहीं रहना चाहता। लोग अलग-अलग तरीकों से और अपनी इच्छापूर्ति के द्वारा ही खुशियां प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

कोशिश यही होती है कि हम अपनी इच्छाओं को पूरा कर पाएं। हमारी इच्छाओं का कोई अंत नहीं होता। एक इच्छा पूरी होती है, तो दूसरी पैदा हो जाती है।
जब भी कोई इच्छा पूरी होती है, कोई और इच्छा जाग जाती है, इस तरह जीवन गुजरता चला जाता है। थोड़े समय के लिए जरूर इनसे खुशी हासिल होती है, लेकिन इनके खो जाने या रिश्ते-नातों के टूट जाने पर बहुत दुख होता है। जीवन में कभी-कभी तो अहसास होता है कि खुशियां क्षणिक हैं, अस्थाई भ्रम हैं। प्रत्येक वस्तु को एक न एक दिन नष्ट होना ही है।
हमें भी एक दिन इस संसार से जाना होगा और हम अपनी प्रिय वस्तुओं को यहीं छोड़ जाएंगे। हमारा ध्यान इच्छाओं को पूरी करने में ही लगा रहता है, इसीलिए जरूरी है कि हम सही इच्छा को पालें। सही और स्थाई खुशी का एक ही स्रोत है, जो नष्ट नहीं हो सकता।
वह हमसे न तो इस जीवन में छीना जा सकता है और न ही शारीरिक मृत्यु के बाद। सच्ची व स्थाई खुशी केवल परमात्मा ही है। यदि हम अपने अंतर में सच्चे आत्मिक स्वरूप का अनुभव कर लेंगे, तो हमें इतनी अधिक खुशियां और प्रेम मिलेगा, जो इस संसार की किसी भी इच्छा की पूर्ति से हमें नहीं मिल सकता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।