आपने कई बार अपने आस-पास लोगों को सूर्य नमस्कार करते हुए या लोगों को जल चढ़ाते हुए देखा हो सकता है . परन्तु क्या कभी आपने सोचा है कि लोग रोजाना सवेरे इसी क्रिया को क्यों दोहराते हैं. चलिए आज आपको बताते हैं कि सूर्य कैसे आपके जीवन के अंधकार को दूर कर सकता है.
सूर्य के प्रकाश की खास बातें-
– सूर्य से प्राप्त होने वाला प्रकाश इस धरती पर ऊर्जा का एक मुख्य स्रोत है
– यह प्रकाश बहुत प्रभावशाली और जीवनदायी है
– इस प्रकाश में अल्ट्रा वायलेट किरणें होती हैं
– ये किरणे कुछ मामलों में लाभदायक होती हैं और कुछ में हानिकारक भी होती है
– सूर्य के प्रकाश से मन और शरीर दोनों को अच्छा किया जा सकता है
-सूर्य के प्रकाश से हमें विटामिन डी भी मिलता है और यही सूर्य का प्रकाश सुबह के समय हमें लाभ भी देता है
सूर्य के प्रकाश से स्वास्थ्य ठीक करें-
– सूर्य जब उदय हो रहा हो तब सूर्य की रौशनी में कम से कम पांच मिनट तक रहें यह आपके स्वास्थ्य के लिए उत्तम दवा है
– सूर्य की रौशनी में स्नान करने से टी बी, और कैंसर जैसी समस्याओं में अद्भुत लाभ होता है
– सूर्य की रौशनी से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं
– जिन घरों में सूर्य की रौशनी आती है वहां रहने वाले लोग ज्यादा प्रसन्न रहते हैं
– ऐसे घरों में कलह कलेश की संभावना भी नहीं होती
– अवसाद ग्रस्त लोगों को सूर्य की रौशनी का सेवन जरूर करना चाहिए
सूर्य की रौशनी से महालाभ-
– प्रातःकाल सूर्य की रौशनी में जरूर टहलें या बैठें
– सूर्य की रौशनी में बाल्टी में पानी भरकर रख दें, इस जल से स्नान करें
– रसोई घर में सूर्य का प्रकाश जरूर आये ऐसी व्यवस्था करें
– अगर घर में सूर्य का प्रकाश न आता हो तो इसकी व्यवस्था करें
– या कम से कम घर में दिन का पर्याप्त उजाला आना ही चाहिए
– यदि ऐसा नही होता है तो उस घर के लोगों का बीमार होने स्वाभाविक है
सूर्य की रोशनी दिलाएगी रुका हुआ धन-
-सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठे और स्नान करके हल्के लाल रंग के कपड़े पहने
-एक लाल आसन पर बैठकर रुद्राक्ष की माला से 108 बार सूर्य के मन्त्र ॐ घृणि सूर्याय नमः का पाठ करें
-वहीं तांबे के लोटे में जल भरकर भी रखे और ॐ मन्त्र 27 बार उच्च स्वर में जपें
– फिर इस जल को सारे घर मे छिड़क दें
-ऐसा लगातार 27 दिन तक करें आपके कार्यों में तेज़ी आएगी और रुका हुआ धन भी जरूर मिलेगा
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।