जानिए क्यू माता सीता के अपहरण पर नाराज था कुंभकर्ण, कही थी यह बात

इस समय टीवी पर रामायण का प्रसारण हो रहा है और उसे देखने के बाद लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में आज हम बताने जा रहे हैं रामायण के पात्र कुंभकर्ण के बारे में. जी दरसक कुंभकर्ण रावण का भाई था और कुंभकर्ण ने एक बार घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया. कहा जाता है उस समय जब वरदान देने की बारी आई तो माता सरस्वती उसके जबान पर बैठ गईं जिसके कारण उसकी जबान लडखड़ा गई और उसने इंद्रासान की बजाए निद्रासन मांग लिया.  जी हाँ, वहीं उसके बाद में रावण के कहने पर ब्रह्मा जी ने उसे 6 महीने तक सोने का वरदान दे दिया. कहा जाता है ब्रह्मा जी ने कहा कि, ”इसके बाद केवल एक दिन के लिए उठेगा. लेकिन इससे पहले यदि वह उठेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी.” उसके बाद जब राम ने लंका पर आक्रमण किया तो रावण की सेना में खलबली मच गई और भगवान राम की सेना जब रावण की सेना पर भारी पड़ने लगी तो रावण ने अपने भाइयों को रणभूमि में जाने का आदेश दिया. इस दौरान कुंभकर्ण को भी जगाया गया.

बहुत कम लोग जानते हैं कि राक्षस होते हुए भी कुंभकर्ण विद्वान था और उसे कई वेदों की जानकारी थी. इसी क्रम में जब कुंभकर्ण जागता था तो वह शोध संबंधी कार्य भी किया करता था. जी हाँ और कुंभकर्ण के पिता का नाम ऋषि विश्रवा था जो बहुत विद्वान थे. इन्होंने ही कुंभकर्ण को शिक्षा दी थी. कहते हैं कुंभकर्ण भूत और भविष्य का ज्ञाता था. जी हाँ, उस समय में जब कुंभकर्ण को पता चला कि उसके भाई रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में अपहरण कर रखा हुआ तो उसने इस कृत्य को गलत बताते हुए रावण को दोषी ठहराया था. जी हाँ, उस समय कुंभकर्ण मर्यादा और संबंधों को निभाने वाला राक्षस था इसलिए उसने रावण से कहा कि ”मैं जानकर भी अर्धम का साथ दे रहा हूं, क्योंकि मुझे भाई का साथ देने के लिए कहा गया है. लेकिन बड़े ने जो किया है उसे कभी सही नहीं कहा जा सकता है.”

उस समय कुंभकर्ण रावण से कहता था-  सुनि दसकंधर बचन तब कुंभकरन बिलखान। जगदंबा हरि आनि अब सठ चाहत कल्यान॥

उस समय में कुंभकर्ण ने राम की सेना में खलबली मचा दी, राम की सेना के कई वानरों को कुंभकर्ण ने मौत की नींद सुला दिया और अंत में स्वयं राम को सामने आना पड़ा और उन्होंने उसे अपने बाणों से मार दिया.

....तो इसलिए मेघनाद को मिला था सदैव विजयी होने का वरदान, एक गलती से मिली मौत
आइये जानिए माता सीता की तीन बहनो के बारे में...

Check Also

पापमोचनी एकादशी पर करें भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप

पापमोचनी एकादशी बेहद पवित्र मानी जाती है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु और देवी …