आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या दिन रविवार 21 जून को खण्डग्रास सूर्यग्रहण सम्पूर्ण भारत में दृश्य होगा। यह सूर्यग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में प्रारम्भ होकर आर्द्रा नक्षत्र में मोक्ष को प्राप्त करेगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण का प्रारम्भ दिन में 10 बजकर 31 मिनट पर होगा। इसका मध्य 12 बजकर 18 मिनट एवं मोक्ष दिन में 02 बजकर 04 मिनट पर होगा। यह ग्रहण मिथुन एवं कर्क राशि पर संयुक्त रूप से लग रहा है, जो सर्वथा ज्योतिषीय गणना के अनुसार, उत्तम फल नहीं देगा।
किन्तु यह सत्य है कि इस ग्रहण के प्रभाव से वैश्विक महामारी कोरोना के अन्त की उल्टी गिनती प्रारम्भ हो जाएगी। स्मरण रहे कि शनि द्वारा उत्पन्न इस महामारी को सूर्य ही नष्ट करेगा। इस ग्रहण का प्रभाव आगामी छः माह तक फलाफल के रूप में रहेगा। ग्रहण का दर्शन किसी के लिए भी शुभ नहीं है। अतः ग्रहण-काल में पूजा, जाप व भजन-कीर्तन करना ही श्रेयस्कर होगा।
सूर्य ग्रहण का सूतक काल
सूतक काल 20 जून दिन शनिवार को रात्रि 09 बजकर 52 मिनट पर प्रारंभ हो चुका है, जो आज रविवार को दोपहर 01 बजकर 49 पर समाप्त होगा। बच्चों, वृद्धों और अस्वस्थ लोगों के लिए सूतक काल का प्रारम्भ कल सुबह 05:24 बजे होगा। इसकी समाप्ति सूर्य ग्रहण की समाप्ति के साथ ही हो जाएगा।
क्या है सूतक काल?
सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व ही सूतक काल प्रारंभ हो जाता है। इस समय अवधि से लेकर सूर्य ग्रहण के समाप्त होने तक कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है।
धर्मशास्त्र के अनुसार, चन्द्रग्रहण में ग्रहण से पहले नौ घण्टा एवं सूर्यग्रहण में बारह घण्टे पहले का सूतक माना गया है। अतःग्रहण-काल में भोजनादि वर्जित कहा गया है। बालक, वृद्ध और रोगी को सूतक प्रभाव से पृथक माना गया है।
विशेष रूप से गर्भिणी स्त्रियों के गर्भ को गाय के गोबर से आवृत्त (गोंठने) करने का विधान है। ऐसा करने से गर्भस्थ सन्तान स्वस्थ्य एवं कुशाग्रबुद्धि की होती है। ग्रहण-काल में ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जाप करना चाहिए अथवा श्रीकृष्णाय श्रीवासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत:क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:।। मन्त्र का भी जाप अति फलदायक होता है।