राधा ने नहीं बल्कि भगवान शिव ने दी थी कृष्णा को बंसी

दुनिया में अलग -अलग लोग अलग-अलग भगवान को मानते हैं और उनके प्रेमी बन जाते हैं. कोई कृष्णा को मानता है तो कोई राम को, कोई दुर्गा माँ को मानता है तो कोई भोलेनाथ को. ऐसे में सभी के बारे में कई रोचक बाते हैं जो सुनने में बड़ा ही आनंद मिलता है. ऐसे में आज हम बताने जा रहे हैं श्री कृष्णा के बारे में.

आप सभी को बता दें कि द्वापर युग के समय जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती में जन्म लिया तब देवी-देवता अपना रूप बदलकर समय-समय पर उनसे मिलने धरती पर आने लगे. वहीं इस दौरान भगवान शिव भी कृष्णा से मिलने के लिए धरती पर आने के लिए उत्सुक हुए लेकिन वह यह सोच कर कुछ क्षण के लिए रुके की यदि वे श्री कृष्ण से मिलने जा रहे हैं तो उन्हें कुछ उपहार भी अपने साथ ले जाना चाहिए. उसके बाद वह यह सोच कर परेशान होने लगे कि ऐसा कौन सा उपहार ले जाना चाहिए जो भगवान श्री कृष्ण को प्रिय भी लगे और वह हमेशा उनके साथ रहे. उसी समय शिव जी को याद आया कि उनके पास ऋषि दधीचि की महाशक्तिशाली हड्डी पड़ी है.

आपको बता दें कि ऋषि दधीचि वही महान ऋषि है जिन्होंने धर्म के लिए अपने शरीर को त्याग दिया था व अपनी शक्तिशाली शरीर की सभी हड्डियां दान कर दी थी. वहीँ उन हड्डियों की सहायता से विश्कर्मा ने तीन धनुष पिनाक, गांडीव, शारंग तथा इंद्र के लिए व्रज का निर्माण किया था. आप सभी को बता दें कि शिव जी​ ने उस हड्डी को घिसकर एक सुंदर एवं मनोहर बांसुरी का निर्माण किया. कहा जाता है जब शिव जी भगवान श्री कृष्ण से मिलने गोकुल पहुंचे तो उन्होंने श्री कृष्ण को भेट स्वरूप वह बंसी प्रदान की. उसी के बाद से भगवान श्री कृष्ण उस बांसुरी को अपने पास रखते हैं.

आखिर क्यों युधिष्ठिर को जुआ खेलने से नहीं रोका श्रीकृष्ण ने, पढ़े पूरी कथा
जानें किसने खोजी भगवान जगन्नाथजी की प्रतिमा और किसने की स्थापना, पढ़े पूरी कथा

Check Also

षटतिला एकादशी पर भूल से भी न करें ये गलती, दुर्भाग्य से भर जाएगा जीवन

माघ महीने के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2026) 14 जनवरी, 2026 को …