ज्योतिष के विद्वानों और मनीषियों का मानना है कि ज्योतिष विद्या से सृष्टि के रहस्य की छानबीन की जा सकती है। उनका पता लगाया जा सकता है। सिद्धान्त ज्योतिष के ग्रंथों में सृष्टि के विवेचन से भी यही लगता है। लेकिन विश्वास के साथ यह कहना अभी कठिन है। क्योंकि इस तरह के कोई प्रमाण अभी नहीं मिल रहे। इस दिशा में खोज जारी है और जब भी साक्ष्यों से यह बात प्रमाणित हो जाएगा, कहने में कोई हर्ज नहीं होगा।
फिलहाल तो चर्चा ही की जा सकती है कि ज्योतिष जीवन के प्रत्येक प्रत्यक्ष और परोक्ष रहस्यों का विवेचन करता है। प्रतीकों से वह जीवन की संभावनाओं को उसी प्रकार प्रकट करता है, जैसे अंधकार में रखी हुई वस्तु को दीपक प्रकाशित करता है कि वह उन्हें पहचान सके। सायणाचार्य ने ऋग्वेद भाष्य भूमिका में लिखा है कि ज्योतिष का मुख्य प्रयोजन यज्ञ अग्निहोत्र और कर्मकांडों के उचित काल का संशोधन करना है।
यदि ज्योतिष न हो तो मुहूर्त,तिथि, नक्षत्र, ऋतु, अयन आदि सब विषय उलट-पुलट हो जाएं। ज्योतिष शास्त्र के द्वारा मनुष्य आकाशीय-चमत्कारों से परिचित होता है। फलतः वह सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्र-सूर्य ग्रहण, ग्रहों की स्थिति, ग्रहों की युति, ग्रह युद्ध, चन्द्र श्रृगान्नति, ऋतु परिवर्तन, अयन एवं मौसम के बारे में सही-सही व महत्वपूर्ण जानकारी दे सकता है।
ज्योतिष की तरह आयुर्वेद भी लुप्त होती हुई विद्या है या ऐसा विज्ञान है जिसकी कड़ियां खोती जा रही हैं। जो लोग आयुर्वेद शास्त्र में दखल रखते हैं, उनके अनुसार ज्योतिष विज्ञान के बिना औषधियों का निर्माण यथासमय हो ही नहीं सकता है। कारण� है कि ग्रहों के तत्व और स्वभाव को जानकर उन्हीं के अनुसार उसी तत्व और स्वभाव वाली दवा विशेष गुणकारी होती है। जो इस शास्त्र के ज्ञान से अपरिचित रहते हैं वे सुन्दर व अपूर्व गुणकारी दवाओं का निर्माण नहीं कर सकते हैं।
ज्योतिष विद्या से रोगी के व्यवहार और तौर तरीकों की मीमांसा किए बिना रोग का सही सटीक निदान किया ही नहीं जा सकता। संवेग रंगशाला नामक ज्योतिष ग्रंथ में रोगी का रोग जानने के अनेक नियमों पर चर्चा की गई है। उसके अनुसार ज्योतिष तत्वों को जानकर जो वैद्य चिकित्सा करते हैं वे अपने कार्य में ज्यादा सफल रहता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।