आज है बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का 85वां जन्मदिन, जानें उनके जीवन की 10 शिक्षाएं

बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा का आज 85वां जन्मदिन है। इनका जन्म 6 जुलाई, 1935 को हुआ था। दलाई लामा का जन्म पूर्वोत्तर तिब्बत में तात्सेर हैमलेट में हुआ था। इनके पिता का नाम च्योकयॉन्ग त्सरिंग है। इनकी माता का नाम दिकी त्सरिंग है। जब ये 2 वर्ष के थे तब इन्हें 13वें दलाई लामा, थुबटेन ग्यात्सो के पुनर्जन्म के रूप में मान्यता दी गई थी। वहीं, औपचारिक रूप से वर्ष 1939 में बुमचेन शहर के पास एक सार्वजनिक घोषणा के दौरान इन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता दी गई थी। यही नहीं, दलाई लामा को वर्ष 1989 में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए अहिंसक अभियान के लिए शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। आज जिन लोगों का जन्मदिन है, वे भी दलाई लामा के संग अपना जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं दलाई लामा के जीवन के 10 उपदेश।

1. दलाई लामा कहते हैं कि वो अपने दुश्मनों को हराने के लिए उन्हें अपना दोस्त बना लेते हैं।

2. क्रोध और घृणा व्यक्ति की कमजोरी है लेकिन करुणा शक्ति का एक निश्चित संकेत है।

3. अगर दुनिया में वास्तविक तौर पर परिवर्तन लाना है तो वह केवल हृदय परिवर्तन के द्वारा ही संभव है।

4. अगर किसी व्यक्ति की अज्ञानता ही उसका स्वामी है तो वहाँ वास्तविक शांति की कोई संभावना नहीं रह जाती है।

5. अगर दर्द आपको बदल देता है तो यह कोई बुरा बदलाव नहीं है। पीड़ा को ज्ञान में बदलो।

6. अगर आपको कई दुख-दर्द या डर है तो आप इस बात को जांच की क्या आप इस स्थिति में कुछ कर सकते हैं। अगर हां तो चिंता करने की जरुरत नहीं है। इसके लिए काम करें। अगर नहीं, तो भी चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है।

7. अगर मन अनुशासित है तो वो सुख की तरफ जाता है। वहीं, अनुशासनहीन मन दुख की ओर जाता है।

8. जो अपने क्रोध और घृणा पर विजय हासिल करता है तो ही सच्चा नायक है।

9. कोई कितना पढ़ा-लिखा या अमीर है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। अगर आपके मन में शांति नहीं है तो आप खुश नहीं रह सकते हैं।

10. दलाई लामा कहते हैं कि वो धर्म के आदमी हैं, लेकिन धर्म हमारी सभी समस्याओं का जवाब नहीं दे सकता है।

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