श्रावण मास में भगवान शिव और उनके परिवार की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करने का विधान है। कहा जाता है कि सावन माह में भगवान भोलेनाथ जल अर्पित करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसकी वजह यह है कि सावन माह में वे जब सुसराल गए थे, तब उनका जल से अभिषेक किया गया था, जिससे वे काफी प्रसन्न हुए। सावन माह में उनकी पूजा करते समय हमलोगों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि उसमें कुछ गलती न हो जाए। भगवान शिव की पूजा में कुछ वस्तुओं को वर्जित माना गया है, जिनका प्रयोग नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं उन वस्तुओं के बारे में।
1. केतकी का फूल: ब्रह्मा जी के साथ झूठ में भागीदार बनने के कारण केतकी को दंड का भाग बनना पड़ा। भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है। उनको यह फूल अर्पित न करें।
2. भगवान शिव की पूजा में कमल, कनेर, केवड़े का फूल तथा लाल रंग के फूल भी नहीं चढ़ाएं जाते हैं।
3. तुलसी का पत्ता: भगवान भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का पत्ता भी शामिल नहीं किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने विष्णु जी की मदद से वृंदा के पति जलंधर का वध किया था। वृंदा के आत्मदाह वाले स्थान पर तुलसी का पौध उग आया।
4. शंख का प्रयोग न करें: देवों के देव महादेव की पूजा में शंख का किसी भी प्रकार से उपयोग वर्जित माना जाता है। भगवान शिव शंकर ने शंखचूर राक्षस का सर्वनाश किया था।
5. नारियल तथा रोली: इन दोनों को भी भगवान शिव की पूजा में शामिल नहीं करते हैं। नारियल माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है, इसलिए पूजा में प्रयोग नहीं करते हैं। भगवान शिव को सिंदूर और रोली भी नहीं लगाते हैं।
6. हल्दी का प्रयोग न करें: भगवान शिव शंकर की पूजा में हल्दी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हल्दी सौंदर्य प्रशाधन का हिस्सा है और शिवलिंग पुरुषत्व का प्रतीक है।