भगवान शिव अपने भक्तों को 100 फ़ीट नीचे पानी में देते है दर्शन, जानिए मंदिर का इतिहास

वाराणसी पूरी दुनिया में धार्मिक नगरी के रूप में प्रसिद्द है। यहीं पर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी स्थित है। यह शहर अपने भीतर कई गहरे राज समाए बैठा है। यहां पर कई ऐसे मंदिर हैं, जिनका काफी महत्त्व है और ऐसा ही एक विशेष मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। जहां भगवान शिव अपने भक्तों को 100 फ़ीट नीचे पानी में दर्शन देते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से।

पौराणिक मान्यता के मुताबिक, यह स्थित शिवलिंग को शेषनाग के अवतार महर्षि पतंजलि द्वारा स्थापित किया गया था और उन्होंने ही इस कूप का निर्माण भी स्वयं अपने हाथों से किया था। इस मंदिर को नागकुआं भी कहा जाता है। कूप के बारे में जानकारी है कि कूप 2074 साल पुराना है।

यहां शिव जी के दर्शन के लिए भक्तों को गहरे हुए में उतरना पड़ता है। शेषनाग के अवतार महर्षि पतंजलि यहीं पर अपने शिष्यों को शिक्षा दिया करते थे। शेषनाग के अवतार होने के कारण वे सभी को पर्दे की आड़ में पढ़ाते थे और कोई भी पर्दा नहीं हटा सकता था। कूप के पानी को लेकर भी आज तक रहस्य बना हुआ है।  इसमें पानी कहां से आता है, इस बारे में कोई नहीं जानता। कूप की दीवारों से निरंतर पानी आता है।  जिसकी सफाई हेतु दो-दो पम्प का सहारा लिया जाता है।

कूप में आप देख सकते हैं कि चारों ओर इसमें सीढ़ि‍या बनी हुई हैं। नीचे कूप के चबूतरे तक पहुंचने के लिए दक्षिण से 40 सीढ़ि‍यां, पश्चिम से 37, उत्तर और पूरब की दीवार से लगी 60-60 सीढ़ि‍यां स्थित हैं। वहीं आगे आपको शिवलिंग तक पहुंचने के लिए 15 सीढ़ियों से और गुजरना होता है। कूप की दक्षिण दिशा सबसे ऊंची है और इसमें 40 सीढ़ि‍यां हैं, जो इस बात का प्रमाण देती है कि यह कूप पूरी तरह वास्तुविधि से बना है। नागपंचमी के विशेष अवसर पर इस मंदिर में भक्तों की भारी भी उमड़ती है।

 

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