यहां शिव की पूजा करता है अश्वत्थामा, छोड़ जाता है ये निशानी

deergheswarnath-shiv-55977e87e28f6_lउत्तर प्रदेश में देवरिया जिले के मझौलीराज के निकट हिरण्यावती नदी के तट पर स्थित पौराणिक दीर्घेश्वरनाथ मंदिर में मन्नत पूरी होने की आशा लेकर आने वाले श्रद्धालुओं का हर दिन तांता लगा रहता है।

इस मंदिर में वैसे तो पूरे वर्ष भक्तों का जमावडा लगा रहता है लेकिन शिवरात्रि, श्रावण मास और अधिक मास में मन्नत पूरी होने की आस लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की बडी संख्या में भीड उमड़ती है।

इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयंभू है। अधिक मास में यहां एक महीने तक मेले जैसा माहौल रहता है। लोगों की मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से यहां अपनी मन्नत मांगता है, वह पूरी जरुर होती है।

यहां पूजा-अर्चना करने वाले की मन्नत पूरी होने के साथ ही उसकी उम्र भी लंबी हो जाती है तथा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। ऐसी भी मान्यता है कि यहां प्रतिदिन चिरंजीवी अश्वत्थामा पूजा-अर्चना करने आते हैं।

मंदिर के महंत जगरनाथ दास ने बताया कि मस्तक के घाव के कारण अश्वत्थाम आज भी तडपते और इधर-उधर भटकते हैं। भगवान शिव द्वारा भक्तों को दीर्घायु का आशीर्वाद दिए जाने के कारण इस मंदिर को दीर्घेश्वर नाथ महादेव के नाम से जाना जाता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अश्वत्थामा इस मंदिर में रात के तीसरे पहर में आते हैं तथा भगवान शिव की पूजा कर चले जाते हैं। सुबह जब मंदिर का द्वार खोला जाता है तो यहां पर सारी पूजन-सामग्री शिवलिंग पर चढ़ी मिलती है। 

 

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