पितृ पक्ष में कौए के माध्यम से ऐसे मिलता है पितरों का आशीष, धन की प्राप्ति के देते हैं ये संकेत

पितृ पक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। उनके तर्पण के निमित्त दान-पुण्य के कार्य होते हैं और गरीबों, ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। इसके अलावा गाय को चारा, कौए और श्वान को भी भोजन आदि दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे पितर मृत्यु लोक से धरती पर हमें आशीर्वाद देने के लिए आते हैं।

इस अवधि में पितर हमसे और हम पितरों के करीब आ जाते हैं। शास्त्रों के नियमानुसार यदि हमारे पितर हमसे प्रसन्न होते हैं तभी हमारा जीवन सुखी और आनंदपूर्वक बीतता है। जबकि इसके विपरीत यदि वे हमसे रुष्ट होते हैं तो हमें भी जीवन में अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है। हमारे पूर्वज हमसे प्रसन्न होते हैं तो वे हमें कौए के माध्यम से कुछ इस तरह के संकतों से आशीर्वाद देते हैं..

यदि श्राद्ध पक्ष में आपको कौआ अनाज के ढेर पर बैठा दिख जाए तो यह आपकी आर्थिक तरक्की को दर्शाता है। इसका अर्थ ये है कि पितरों के आशीर्वाद से आपको धन लाभ की प्राप्ति होगी। वहीं अगर सूअर की पीठ पर कौआ बैठा दिखाई दे, तो अपार धन की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार कौआ मकान की छत पर या हरे-भरे वृक्ष पर जाकर बैठे तो अचानक धन लाभ होता है।

अगर कौआ गाय की पीठ पर चोंच को रगड़ता हुआ दिखाई देता है तो यह भी पितरों के द्वारा शुभ संकेत होता है। इसका अर्थ होता है कि आपको पितरों के आशीर्वाद से उत्तम भोजन की प्राप्ति होगी।

कौए का अपनी चोंच पर सूखा तिनका लाना भी शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि अगर कौआ अपनी चोंच में सूखा तिनका लाते हुए दिखे तो धन लाभ होता है।

अपने घर के आसपास अगर आपको कौए की चोंच में फूल-पत्ती दिखाई दे तो यह बेहद शुभ होता है। इसका तात्पर्य यह कि आपको मनोरथ की सिद्धि प्राप्त होगी।

पितृ पक्ष में यदि कौआ बाईं तरफ से आकर भोजन ग्रहण करता है तो समझिए आपकी यात्रा बिना रुकावट के संपन्न होने वाली है। वहीं यदि कौआ पीठ की तरफ से आता है तो प्रवासी को लाभ मिलने के संकेत होते हैं।

नियमानुसार पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त तर्पण किया जाता है। इसके अलावा श्राद्ध में ब्राह्मण और पशु-पक्षियों का भी महत्व है। श्राद्ध में पितरों के लिए ब्राह्राण, गाय, श्वान और कौए को ग्रास निकालने की परंपरा है। हिन्दू मान्यता के अनुसार देसी गाय में सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए गाय का महत्व है। वहीं पितर पक्ष में श्वान और कौए हमारे पितरों का रूप होते हैं इसलिए उनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था की जाती है।

 

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