गुरुवार (16 जुलाई 2015 को) आषाढ़ के अधिक मास का समापन होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिक मास आता है। इस प्रकार 2018 में पुनः अधिक मास आएगा। वह ज्येष्ठ का अधिक मास होगा।
अधिक मास में नए शुभ काम प्रारंभ नहीं किए जाते। यह मास भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है। इस दौरान देवी-देवताओं की वंदना, तीर्थयात्रा, कथा सुनना, दान-पुण्य करने से विष्णु भगवान प्रसन्न होते हैं और वे भक्त पर शीघ्र कृपा करते हैं।
– चूंकि गुरुवार को अधिक मास समाप्त होगा, इसलिए यह दिन कुछ खास आध्यात्मिक कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किसी तीर्थ में स्नान करते हुए गायत्री मंत्र का जाप जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति दिलाता है। वहीं आर्थिक समस्याओं, कर्ज से परेशान जातक को पीपल को जल चढ़ाना चाहिए।

– गुरुवार की शाम को तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु सहित तुलसी को नमन करें। इसके बाद 11 परिक्रमाएं करें। तुलसी की परिक्रमा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और मनुष्य को सफलता मिलती है।
– भगवान विष्णु के प्रिय मंत्र ऊं नमो भगवते वासुदेवाय के जाप के बिना अधिक मास का पूजन अधूरा है। इस दिन भगवान का दुग्ध से अभिषेक करें। साथ ही पीले रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। भगवान के पूजन के पश्चात पीले वस्त्र, दाल, फल, फूल, अन्न आदि का दान करने से विष्णुजी प्रसन्न होते हैं।
– अधिक मास में कन्या को भोजन कराने और दान देने का भी विशेष महत्व है। खासतौर से वे लोग जिनके कार्यों में निरंतर बाधाएं आ रही हैं, उन्हें यह प्रयोग शुभ फल देता है। इस दिन भगवान को खीर का भोग लगाएं और परिवार के सभी सदस्यों को ये प्रसाद दें। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।