नवरात्रि चल रहा है और यह पावन पर्व 9 दिनों तक चलता है। ऐसे में कल यानी 23 अक्टूबर को नवरात्रि का सांतवा दिन है। कहा जाता है नवरात्र का सांतवा दिन मां के कालरात्रि को समर्पित होता है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है। जी दरअसल मां दुर्गा का सप्तम् स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है और माँ दुर्गा की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कालरात्रि माँ को सदैव शुभ फल देने वाली होने के कारण शुभंकरी कहा जाता है। कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। वैसे मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इनकी कथा।
माँ कालरात्रि की कथा- कहते हैं कालरात्रि माता को काली का ही रूप माना जाता है। जी दरअसल काली मां इस कलयुग मे प्रत्यक्ष फल देने वाली माता कही जाती है। जी दरअसल काली, भैरव तथा हनुमान जी ऐसे देवी-देवता हैं, जो शीघ्र ही जागृत होकर भक्त को मन के अनुसार फल देते हैं। वैसे काली माँ के अनेकों नाम है और अनेकों रूप भी हैं। काली माँ को भद्रकाली, दक्षिण काली, मातृ काली व महाकाली के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती में महिषासुर के वध के समय मां भद्रकाली की कथा वर्णन मिलता है।
जो इस प्रकार है, ‘युद्ध के समय महाभयानक दैत्य समूह देवी को रण भूमि में आते देखकर उनके ऊपर ऐसे बाणों की वर्षा करने लगा, जैसे बादल मेरूगिरि के शिखर पर पानी की धार की बरसा रहा हो। तब देवी ने अपने बाणों से उस बाण समूह को अनायास ही काटकर उसके घोड़े और सारथियों को भी मार डाला। साथ ही उसके धनुष तथा अत्यंत ऊंची ध्वजा को भी तत्काल काट गिराया। धनुष कट जाने पर उसके अंगों को अपने बाणों से बींध डाला। और भद्रकाली ने शूल का प्रहार किया। उससे राक्षस के शूल के सैकड़ों टुकड़े हो गये, वह महादैत्य प्राणों से हाथ धो बैठा।’
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।