नवरात्रि चल रहा है और यह पावन पर्व 9 दिनों तक चलता है। ऐसे में कल यानी 23 अक्टूबर को नवरात्रि का सातवां दिन है। कहा जाता है नवरात्र का सांतवा दिन मां के कालरात्रि को समर्पित होता है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है। जी दरअसल मां दुर्गा का सप्तम् स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है और माँ दुर्गा की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कालरात्रि माँ को सदैव शुभ फल देने वाली होने के कारण शुभंकरी कहा जाता है। कहते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। वैसे मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं इनकी पूजा विधि और पसंदीदा रंग और भोग।
पूजा विधि- कहा जाता है नवरात्र के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करना चाहिए। उसके बाद माता को अक्षत्, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक चढ़ाना चाहिए। बहुत कम लोग जानते हैं कि मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करना चाहिए। अब इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करना चाहिए तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करनी चाहिए।
पसंदीदा रंग और भोग – कहा जाता है माँ कालरात्रि को गुड़ बहुत पसंद है इसलिए महासप्तमी के दिन उन्हें इसका भोग लगाना चाहिए। इसी के साथ ऐसी भी मान्यता है कि मां को गुड़ का भोग चढ़ाने और ब्राह्मणों को दान करने से वह प्रसन्न होती हैं। जी दरअसल ऐसा करने से माँ सभी विपदाओं का नाश करती हैं। आपको बता दें कि मां कालरात्रि को लाल रंग बहुत प्रिय है।