श्रीमद्भगवद्गीता को भारतीय संस्कृति में सबसे ऊंचा दर्जा प्राप्त है. श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन को पूर्णतः बदलने का माद्दा रखती है. श्रीमद्भगवद्गीता से पूरी दुनिया परिचित है. आज के समय में हर किसी के जीवन में गीता ज्ञान की आवश्यकता है. जब मानव भगवद्गीता रूपी सागर में गोते लगाता है तो वो मोती लेकर निकलता है. श्री कृष्ण द्वारा कुरुक्षेत्र में महाभारत के समय अर्जुन को दिया गया उद्देश्य आज पूरी दुनिया में भगवद्गीता के रूप में पहचान रखता है. हिंदू धर्म के पवित्र ग्रन्थ के रूप में भी गीता को जाना जाता है.
जब श्री कृष्ण के मित्र अर्जुन कौरवों से लड़ने में मन से हार बैठे थे तो उस समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को उनके सही कर्तव्य से परिचित करवाया और इस दौरान श्री कृष्ण ने अर्जुन से जो भी बातें कहीं वे आज गीता में लिखी हुई है. श्री कृष्ण की दिव्य बातों का अर्जुन पर ऐसा असर हुआ कि अर्जुन ने युद्ध करने का प्रण ले लिया. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत का युद्ध आज से करीब 7 हजार साल पहले लड़ा गया था.
श्रीमद्भगवद्गीता को लेकर एक विशेष बात यह है कि किसी भी प्रकार की समस्या से गीता का ज्ञान मानव जीवन को बचा लेगा. जब तक इस भूमि पर मानव जीवित है, गीता के ज्ञान का भी अस्तित्व रहेगा. संकट के समय, चिंता के समय, निराशा के समय, घर-परिवार की बातों को लेकर, नकारात्मकता से दूरी, शत्रु के प्रति कर्तव्य, मित्र के प्रति कर्तव्य, सांसारिकता, आत्मा अविनाशी आदि जैसी और भी कई बातों को लेकर श्री कृष्ण ने गीता के ज्ञान की माध्यम से मानव को परिचित करने का काम किया है. मानव जीवन कोई भी सांसारिक प्रश्न को खोजना चाहता है तो उसका उत्तर उसे गीता में अवश्य मिलेगा. श्रीमद्भगवद्गीता का महत्व इससे आप भली भांति समझ सकते हैं.