श्री कृष्ण हिंदू धर्म के प्रमुख देवता है. श्री कृष्ण को लेकर कई ऐसे रहस्य भी हैं, जिनसे यह दुनिया बहुत ही कम परिचित है. ऐसा ही एक राज है श्री कृष्ण का मोर के पंख को मुकुट के रूप में अपने मस्तक पर सजाना. आइए जानते हैं कि आखिर श्री कृष्ण मोर पंख को अपने मस्तक पर क्यों सजाते हैं ? विद्वानों ने इसे लेकर अलग-अलग तरह के तर्क पेश किए हैं.
– श्री कृष्ण द्वारा मोर के पंख के मुकुट को धारण करने के पीछे प्रचलित कथन यह है कि मोर ही एक मात्र ऐसा पक्षी है, जो पूरे जीवन में ब्रह्मचर्य व्रत को अपनाता है. मोर के आंसूओं को पीकर मादा मोर गर्भ धारण करती है. इस तरह इतने पवित्र पक्षी के पंख को श्री कृष्ण अपने मस्तक पर सजाते हैं.
– माता राधा के महल में कई मोर होते थे और जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे तो माता राधा के साथ ही उनके मोर भी नृत्य मुद्रा में आ जाते थे और वे सुंदर कृत्य करते थे. ऐसा कहा जाता है कि एक बार नृत्य के दौरान किसी मोर का पंख भूमि पर गिर गया. भगवान ने उसे उठाया और अपने मस्तक पर सजा लिया.
– अपने मित्र और शत्रु में श्री कृष्ण भेद नहीं करते हैं. इसे आप इस तरह समझेंगे कि श्री कृष्ण के भाई बलराम जी थे और वे शेषनाग का अवतार थे. नाग और मोर दोनों ही शत्रु है. अतः श्री कृष्ण मोर के पंख को अपने मस्तक पर सजाकर हमें यह बताते हैं कि शत्रु और मित्र में वे भेद नहीं करते हैं.
– एक कथन यह भी है कि श्री कृष्ण मोर के पंखों के सभी रंगों की तरह ही हमें भी यह बताते हैं कि मोर पंख की तरह ही हमारे जीवन में भी कई तरह के रंग होते हैं. हर किसी को जीवन में कभी उतार तो कभी चढ़ाव देखने को मिलते हैं.
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।