भारतीय धर्म और संस्कृति में सूर्य को साक्षात् ईश्वर कहा जाता है। मान्यता है कि हमारे पूर्वज वैवस्वत मनु की ही संतानें हैं। वैवस्वत अर्थात् विवस्वान, जो कि भगवान सूर्य का ही नाम है। अप्रत्यक्ष तौर पर हमारा जन्म भगवान सूर्य के माध्यम से हुआ है। इस तरह से सूर्य जगत् पिता हैं। सूर्य में सृष्टि की शक्ति विद्यमान है, हिंदू धर्म में पंचदेवों की आराधना का विधान है।
इन देवों को ही प्रधान देव कहा जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं में भी भगवान सूर्य सभी गणनाओं के केंद्र में रहते हैं। सूर्य से हमें जीवनीय ऊर्जा प्राप्त होती है वहीं हमारे मन में सकारात्मक शक्ति का निर्माण होता है। सूर्य देव की आराधना से यश की प्राप्ति होती है। रविवार का दिन सूर्यदेव का दिन होता है। इस दिन सूर्य देव को अध्र्य देने और सूर्य देव की मंत्रोक्त पूजा का विशेषलाभ होता है। सूर्य की आराधना करने के लिए प्रातःकाल जल्दी उठकर सफेद वस्त्र पहनने चाहिए।
इसके बाद भगवान सूर्य को नमस्कार करना चाहिए, उनके चित्र, सूर्य यंत्र पर लाल कुमकुम, लालपुष्प और चंदन का लेप किया जा सकता है। यही नहीं उन्हें चमेली, कनेर के फूल समर्पित करते हैं। और भगवान का स्मरण कर उन्हें नमस्कार करने के साथ दीपदान किया जाता है। इस तरह से की जाने वाली सूर्य पूजा मनोकामना पूर्ण करती है। इससे यश की वृद्धि होती है और अभिष्ट की सिद्धि होती है।