दोस्तों, भगवान और शराब, ये दो शब्द एक साथ सुनने में काफी अजीब लगते है| हम आज आपको ऐसे ही एक मंदिर के संबंध में बताने जा रहे है, जहाँ ये दोनों शब्द एक साथ सुने और देखें भी जाते है| मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित काल भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप में शराब चढाने की परंपरा है| लगभग 6000 वर्ष प्राचीन इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है की यहाँ पर भगवान काल भैरव साक्षात रूप में मदिरापान करते है|
इस मंदिर को एक वाम मार्गी तांत्रिक मंदिर भी कहा जाता है, जिसकी ये खासियत होती है कि इन मंदिरों में मदिरा, मांस, बलि और मुद्रा जैसी वस्तुएं प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं| मंदिर में जैसे ही शराब से भरे प्याले काल भैरव की प्रतिमा के मुँह से लगाते है तो देखते ही देखते शराब का प्याला खाली हो जाता है| कहा जाता है कि कई सालों पहले एक अंग्रेज अधिकारी ने इस बात की जांच करने के लिए मूर्ती के आस-पास काफी गहराई तक खुदाई करवाई थी, किन्तु उसके हाथ कुछ भी नहीं लगा और वो खुद भी काल भैरव का भक्त बन गया|
प्राचीनकाल में यहाँ पर केवल तांत्रिक ही आया करते थे| बाद में यह मंदिर सामान्य लोगों के लिए खोल दिया गया| धीरे-धीरे इस स्थान पर बलि प्रथा को भी ख़त्म कर दिया गया और भगवान काल भैरव को मदिरा का प्रसाद चढ़ाया जाने लगा| मदिरा पिलाने के इस सदियों पुराने सिलसिले को किसने और कब शुरू किया इसके किसी के पास कोई ब्यौरा नहीं है|