छठ पूजा का आरम्भ कल मतलब कि 18 नवंबर से हो रहा है। संतान प्राप्ति तथा संतान की मंगलकामना की इच्छा से रखा जाने वाला यह उपवास कठोर व्रतों में से एक है। इस त्यौहार की तैयारियां कई दिनों पूर्व से आरम्भ हो जाती है। आपको बता दें कि जिस प्रकार से हर उपवास के लिए खास पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है, ठीक वैसे ही छठ पूजा में भी खास सामग्रियां इस्तेमाल की जाती है। यदि आप भी छठ पूजा करने जा रही हैं तो यहां छठ पूजा की सामग्री और पूजा विधि के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। 
छठ व्रत की पूजन सामग्री:
अपने लिए नए वस्त्र जैसे सूट, साड़ी तथा पुरुषों के लिए कुर्ता-पजामा या जो उन्हें सहज लगे।
छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां क्रय कर लें।
सूप, ये बांस अथवा फिर पीतल के हो सकते हैं।
दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा तथा थाली।
गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों।
नारियल, जिसमें जल हो।
चावल, सिंदूर, दीपक तथा धूप।
हल्दी, मूली तथा अदरक का हरा पौधा।
बड़ा वाला मीठा नींबू (डाभ), शरीफा, केला तथा नाशपाती।
शकरकंदी तथा सुथनी।
पान तथा साबुत सुपारी।
शहद।
कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती या धूप तथा कपूर।
मिठाई।
गुड़, गेहूं तथा चावल का आटा।
छठ पूजा और अर्घ्य विधि:
बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस अथवा पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध तथा ग्लास, चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी तथा शकरकंदी, नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन तथा मिठाई प्रसाद के तौर पर ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें। इसके पश्चात् बांस की टोकरी में उपरोक्त सामग्री रखें। सूर्य को अर्घ्य देते वक़्त सारा प्रसाद सूप में रखें तथा सूप में ही दीया जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य भगवान को अर्घ्य दें।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।