चार दिनों के महापर्व छठ की शुरुआत बीते कल यानी 18 नवम्बर से हो चुकी है। पहले दिन नहाय-खाय हुआ है। ऐसे में अब आज छठ का दूसरा दिन है और आज खरना मनाया जा रहा है। आप सभी को बता दें कि खरना कार्तिक शुक्ल की पंचमी को मनाया जाता है। वहीं खरना का मतलब होता है शुद्धिकरण। इसे लोहंडा के नाम से भी जाना जाता है।
वैसे खरना के दिन छठ पूजा का विशेष प्रसाद बनाया जाता है। आपको बता दें कि छठ पर्व वैसे तो बहुत कठिन माना जाता है और इसे करने के लिए बहुत सावधानी भी बरतनी चाहिए। कहते हैं जो भी व्रती छठ के नियमों का पालन करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। खरना के दिन महिलाएं और छठ व्रती सुबह स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र पहनती है। उसके बाद वह नाक से माथे के मांग तक सिंदूर लगाती हैं। वहीं खरना वाले दिन व्रती दिन भर व्रत रखती हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करती हैं। उसके बाद महिलाएं सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और प्रसाद को ग्रहण करती हैं। उनके प्रसाद खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है।
कहा जाता है इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद ही व्रती महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। ऐसीमान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही घर में देवी षष्ठी (छठी मइया) का आगमन हो जाता है। खरना वाले दिन व्रती शुद्ध मन से सूर्य देव और छठ मां की पूजा करके गुड़ की खीर का भोग लगाती हैं। आप सभी को बता दें कि खरना का प्रसाद काफी शुद्ध तरीके से बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसे खाने से शरीर से लेकर मन तक शुद्ध हो जाता है।