30 नवंबर सोमवार को नानक जयंती मनाई जाएगी। सिख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव का जन्म संवत् 1526 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। गुरु नानक जयंती, कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे भारत में बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। इस दिन को प्रकाश पर्व के तौर पर मनाया जाता है। नानक जी ने हमारे जीवन से जुड़े कई उपदेश दिए हैं। गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कालू तथा माता का नाम तृप्ता देवी था। नानक देव जी की बहन का नाम नानकी था। नानक जी के जन्म के पश्चात् तलवंडी का नाम ननकाना पड़ा। तत्कालीन में यह स्थान पाकिस्तान में है।
नानक जब कुछ बड़े हुए तो उन्हें पढने के लिए विद्यालय भेजा गया। उनकी सहज बुद्धि काफी तेज थी। वे कभी-कभी अपने अध्यापकों से विचित्र प्रश्न पूछ लेते जिनका उत्तर उनके अध्यापकों के पास भी नहीं होता। जैसे एक दिन अध्यापक ने नानक से पाटी पर अ लिखवाया। तब नानक ने अ तो लिख दिया किन्तु अध्यापक से पूछा, गुरूजी! अ का क्या मतलब होता है? यह सुनकर गुरूजी सोच में पड़ गए। गुरु नानक बचपन से सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे।
तत्पश्चात् सारा वक़्त वे आध्यात्मिक चिंतन तथा सत्संग में गुजारने लगे। गुरु नानक के बचपन के वक़्त में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी, जिन्हें देखकर गांव के व्यक्ति इन्हें दिव्य व्यक्तित्व वाले मानने लगे। गुरु नानक ने बचपन से ही रूढ़िवादिता के खिलाफ संघर्ष का आरम्भ कर दिया था। वे धर्म प्रचारकों को उनकी कमियां बताने के लिए अनेक तीर्थस्थानों पर पहुंचे तथा व्यक्तियों से धर्मांधता से दूर रहने की अपील की। गुरु नानक देव ने ही इक ओंकार का नारा दिया मतलब ईश्वर एक है। वह सभी स्थान पर उपस्थित है। हम सबका “पिता” वही है इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।