आज मार्गशीष मास मतलब कि अगहन की मासिक शिवरात्रि है। मासिक शिवरात्रि का त्यौहार शिव श्रद्धालुओं के लिए बहुत विशेष है। श्रद्धालु आज शिवलिंग पर दूध, जल तथा बेलपत्र अर्पित करेंगे। प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कहा हाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि की खास अहमियत है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, शिवरात्रि के दिन आधी रात में भगवान शिव लिङ्ग के तौर पर उत्पन्न हुए थे। प्रभु श्री विष्णु तथा ब्रह्माजी ने सबसे पहली बार मासिक शिवरात्रि के दिन शिव लिङ्ग की भक्ति की थी। भोले शंकर भगवान शिव सबसे शीघ्र खुश होने वाले भगवान माने जाते हैं।
मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा: पौराणिक कथाओं तथा धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, शिव जी महाशिवरात्रि के दिन मध्य रात्रि के वक़्त शिवलिंग के तौर पर प्रकट हुए थे। उनके शिवलिंग में प्रकट होने के पश्चात् सबसे पहले उनकी पूजा भगवान ब्रह्मा तथा प्रभु श्री विष्णु ने की थी। तब से लेकर आज तक इसी दिन भगवान शिव का जन्मदिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पुराणों में भी शिवरात्रि पर किए जाने ल्रत का जिक्र किया गया है। शास्त्रों के मुताबिक, माता लक्ष्मी, मां सरस्वती, गायत्री, सीता, पार्वती जैसे देवियों ने भी अपने जीवन के उद्धार के लिए शिवरात्रि का उपवास किया था। मासिक शिवरात्रि से सुख तथा शांति प्राप्त होती है। माना जाता है कि यह उपवास संतान प्राप्ति, बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए भी किया जाता है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व: पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से आराधना करने तथा उपवास रखने वालों लोगों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है तथा उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। मान्यताओं के मुताबिक, यह उपवास रखने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है तथा बीमारियों से मुक्ति भी प्राप्त होती है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।