कहा जाता है अगर हर दिन मानव भगवान दत्तात्रेय का स्मरण करें तो उसके जीवन में सुख ही सुख रहता है। आप सभी को बता दें कि दत्तात्रेय के मंत्रों के साथ-साथ उनके स्तोत्र का भी निरंतर पाठ करने से मनुष्य के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। केवल यही नहीं बल्कि पितृ दोष में कमी हो जाती है और मनुष्य दिन-प्रतिदिन उन्नति करने लगता है। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्रीनारदपुराण में वर्णित पावन श्रीदत्तात्रेयस्तोत्र।
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्र
जटाधरं पांडुरांगं शूलहस्तं कृपानिधिम्।
सर्वरोगहरं देवं दत्तात्रेयमहं भजे।।1।।
अस्य श्रीदत्तात्रेयस्तोत्रमंत्रस्य
भगवान् नारदऋषि:।
अनुष्टुप् छन्द:।
श्रीदत्तपरमात्मा देवता।
श्रीदत्तप्रीत्यर्थे जपे विनियोग:।।
जगदुत्पत्तिकर्त्रे च स्थितिसंहार हेतवे।
भवपाशविमुक्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।1।।
जराजन्मविनाशाय देहशुद्धिकराय च।
दिगम्बरदयामूर्ते दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।2।।
कर्पूरकान्तिदेहाय ब्रह्ममूर्तिधराय च।
वेदशास्त्रपरिज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।3।।
र्हस्वदीर्घकृशस्थूल-नामगोत्र-विवर्जित।
पंचभूतैकदीप्ताय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।4।।
यज्ञभोक्ते च यज्ञाय यज्ञरूपधराय च।
यज्ञप्रियाय सिद्धाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।5।।
आदौ ब्रह्मा मध्य विष्णुरंते देव: सदाशिव:।
मूर्तित्रयस्वरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।6।।
भोगालयाय भोगाय योगयोग्याय धारिणे।
जितेन्द्रियजितज्ञाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।7।।
दिगम्बराय दिव्याय दिव्यरूपध्राय च।
सदोदितपरब्रह्म दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।8।।
जम्बुद्वीपमहाक्षेत्रमातापुरनिवासिने।
जयमानसतां देव दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।9।।
भिक्षाटनं गृहे ग्रामे पात्रं हेममयं करे।
नानास्वादमयी भिक्षा दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।10।।
ब्रह्मज्ञानमयी मुद्रा वस्त्रे चाकाशभूतले।
प्रज्ञानघनबोधाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।11।।
अवधूतसदानन्दपरब्रह्मस्वरूपिणे।
विदेहदेहरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।12।।
सत्यंरूपसदाचारसत्यधर्मपरायण।
सत्याश्रयपरोक्षाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।13।।
शूलहस्तगदापाणे वनमालासुकन्धर।
यज्ञसूत्रधरब्रह्मन् दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।14।।
क्षराक्षरस्वरूपाय परात्परतराय च।
दत्तमुक्तिपरस्तोत्र दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।15।।
दत्त विद्याढ्यलक्ष्मीश दत्त स्वात्मस्वरूपिणे।
गुणनिर्गुणरूपाय दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।16।।
सर्वपापं शमं याति दत्तात्रेय नमोऽस्तुते।।17।।
इदं स्तोत्रं महद्दिव्यं दत्तप्रत्यक्षकारकम्।
शत्रुनाशकरं स्तोत्रं ज्ञानविज्ञानदायकम्।
दत्तात्रेयप्रसादाच्च नारदेन प्रकीर्तितम्।।18।।
।।इति श्रीनारदपुराणे नारदविरचितं दत्तात्रेयस्तोत्रं सुसंपूर्णम्।।