चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारणी की करें पूजा, जानिए विधि, भोग और माँ का स्वरूप

14 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा आराधना की जाती है। देवी का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, उनका भोग और उनका स्वरूप।चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारणी की करें पूजा, जानिए विधि, भोग और माँ का स्वरूप

मां ब्रह्मचारणी की पूजा विधि- कहा जाता है माता के पूजन में पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन का प्रयोग किया जाता है। पूजन आरंभ करने से पहले मां ब्रह्मचारिणी को दूध, दही, शर्करा, घृत और शहदु से स्नान कराया जाता है। उसके बाद मां ब्रह्मचारणी को प्रसाद चढ़ाना चाहिए। जब यह क्रिया पूरी हो जाए तो आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करनी चाहिए। अब इसके बाद स्थापित कलश, नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता और ग्राम देवता की पूजा करनी चाहिए।

मां ब्रह्मचारिणी का भोग- आपको बता दें कि देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल पसंद हैं। ध्यान रहे कि उनकी पूजा में इन्हीं फूलों का इस्तेमाल करें। इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को मीठे में चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन अति प्रिय होते हैं। इसी के कारण मां ब्रह्मचारिणी को दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं।

मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप के बारे में बात करें तो वह बड़े ही सरल स्वभाव वाली हैं और वह दुष्टों को सही का मार्ग दिखाने वाली हैं। माँ के दाहिने हाथ में जप की माला है, वहीं माँ के बाएं हाथ में कमंडल है। कहते हैं साधक यदि भगवती के इस स्वरूप की आराधना करता है तो उसमें तप करने की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य में वृद्धि होती है।

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