हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह साल की पहली पूर्णिमा है जो 25 जनवरी गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मत है कि पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही दुखों से छुटकारा मिलता है।
हिंदू धर्म में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह साल की पहली पूर्णिमा है, जो 25 जनवरी, गुरुवार के दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मत है कि पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही दुखों से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों में बताए गए पूर्णिमा के नियमों का पालन कर और पवित्र मंत्रों का उच्चारण करके विधिवत पूजा की जाती है, जिससे भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चलिए जानते हैं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कुछ विशेष मंत्र।
भगवान विष्णु के मंत्र
ॐ नमोः नारायणाय।।
2. ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।।
3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।।
4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्।।
5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः।।
माता लक्ष्मी मंत्र
1. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः।।
2. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:।।
3. ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि,
तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ।।
पौष पूर्णिमा 2024 डेट और शुभ मुहूर्त
पौष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को देर रात्रि 09 बजकर 49 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 25 जनवरी को देर रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर तिथि का समापन होगा। इस बार 25 जनवरी, गुरुवार के दिन पूर्णिमा मनाई जाएगी।
पौष पूर्णिमा का महत्वज्योतिष शास्त्र के अनुसार,पौष माह को भगवान सूर्य देव का महीना कहा जाता है। इस माह में विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करने से इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन गंगा स्नान और दान करने का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन किए दान का कई कई गुना होकर साधक को प्राप्त होता है।
डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।