महात्मा गौतम बुद्ध नेअपने जीवन में सदैव लोगों को शरीर और मन को पवित्र कर एकाग्र चित्त मन के निर्माण का संदेश दिया था। उनका जन्म नेपाल स्थित लुम्बिनी में 563वीं ईसा पूर्व में हुआ था। उनके जन्म के कुछ दिनों बाद उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद महात्मा गौतम बुद्ध का पालन-पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था।
बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा गौतम बुद्ध थे। उनका का असली नाम सिद्धार्थ था। उन्होंने अपने जीवन में सदैव लोगों को शरीर और मन को पवित्र कर एकाग्र चित्त मन के निर्माण का संदेश दिया था। उनका जन्म नेपाल स्थित लुम्बिनी में 563वीं ईसा पूर्व में हुआ था। उनके जन्म के कुछ दिनों बाद उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद महात्मा गौतम बुद्ध का पालन-पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी ने किया था। गौतम बुद्ध के अनमोल विचारों से आज भी लोगों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे गौतम बुद्ध के अनमोल विचार, शिक्षा और उन्होंने किस वजह से गृह का त्याग किया था।
महात्मा गौतम बुद्ध की शिक्षा
महात्मा गौतम बुद्ध ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत राजमहल से की थी। इसके बाद उनके पिता शद्धोधन ने उन्हें शिक्षा प्राप्त करने के लिए गुरु विश्वामित्र के पास भेजा दिया था। गौतम बुद्ध ने गुरु विश्वामित्र से उपनिषद और वेदों की शिक्षा प्राप्त की थी।
क्या था बुद्ध के गृह त्याग का कारण
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गौतम बुद्ध दिव्य ज्ञान की खोज में थे। इसलिए उन्हें संपत्ति, परिवार या फिर किसी भी चीज से कोई लगाव नहीं था। गौतम बुद्ध को इन सभी चीजों में आध्यात्मिक आनंद प्राप्त नहीं होता था। बुद्ध ने अपने मन के प्रश्न के उत्तर को खोजने के लिए बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या आरंभ की। तपस्या के 6 वर्ष के बाद उन्हें पूर्ण और दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
महात्मा गौतम बुद्ध के अनमोल विचार
-इंसान अपने जीवन में बुराई से बुराई को खत्म नहीं कर सकता। बुराई को समाप्त करने के लिए व्यक्ति को प्रेम की मदद लेनी पड़ती है। प्रेम से सभी चीजों को जीता जा सकता है।
-इंसान को बीती हुई बात में उलझना नहीं चाहिए और न ही जीवन के बारे में सपने देखकर उसमें उलझना चाहिए। क्योंकि यही वजह है कि इंसान की चिंता का कारण बन सकता है, जिससे इंसान मानसिक रूप से परेशान हो जाता है।
-इंसान के लिए हर दिन एक नया होता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि बीता हुआ कल कितनी परशानियों से भरा था। हर दिन का एक नया सवेरा एक नई उम्मीद लेकर पैदा होता है।
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।