सनातम धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को अति प्रिय है। इस दिन भगवान शिव और मां माता पार्वती की पूजा और व्रत करने का विधान है। शिव पुराण में निहित है कि भगवान शिव की पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। सोमवार के दिन महादेव की पूजा करना अति उत्तम होता है। शिवपुराण के अनुसार, सोमवार की पूजा में एकादश रुद्र मंत्रों का जाप साधक के जीवन के लिए फलदायी होता है।
शिवपुराण में एकादश रुद्र के नाम
शिव पुराण में एकादश रूद्र को – कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपदा, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड, और भव के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण में उल्लेखित एकादश रुद्र मंत्र ग्यारह विभिन्न मंत्रों का समूह है, जो इस प्रकार है –
एकादश रुद्र मंत्र
कपाली – ‘ओम हुमूम सतत्रम्भान्य हं हं ओम फाट फट्’
पिंगला – ‘ओम श्रीम हिम श्रीमान मंगला पिंगलाया ओम नमः’
भीम – ‘ॐ ऐं ऐं मनो वंचिता सिद्ध्या ऐं ऐं ॐ’
विरुपाक्ष – ‘ॐ रुद्रया रोगनाश्या अगच्छा च राम ॐ नम:’
विलोहित – ‘ॐ श्रीं ह्रीं सं सं ह्रीं श्रीं शंकरशनया ॐ’
शष्ठ – ‘ॐ ह्रीं ह्रीं सफलयाये सिद्धाए ॐ नम:’
अजपदा – ‘ॐ श्रीं बं सौ बलवर्धान्य बलेशवार्य रुद्राय फट् ॐ’
अहिर्बुध्न्य – ‘ॐ ह्रां ह्रीं हं समस्थ ग्रह दोष विनाशाय ॐ’
शम्भु – ‘ॐ गं ह्लौं श्रौं ग्लौं गं ॐ नम:’
चण्ड – ‘ॐ चुं चंदीशवार्य तेजस्यय चुं ॐ फट्ट’
भव – ‘ॐ भवोद भव संभव्यय इष्ट दर्शना ॐ सं ॐ नम:’