इस मंदिर में लेटे हुए रूप में विराजमान हैं हनुमान जी

भारत में हनुमान जी के ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जिनकी लोगों के बीच विशेष आस्था बनी हुई है। ऐसा ही एक मंदिर है, प्रयागराज में संगम तट पर मौजूद है, जो हनुमान जी की मूर्ति को लेकर काफी चर्चा में रहता है।

क्योंकि जहां अन्य मंदिरों में आपने हनुमान जी की खड़ी हुई प्रतिमा देखी होगी, वहीं इस मंदिर में हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा स्थापित है। लोगों के बीच इस मंदिर की विशेष लोकप्रियता बनी हुई है। इस मंदिर को किले वाले हनुमान जी, लेटे हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी आदि नामों से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ा रोचक इतिहास।

क्या है पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद जब हनुमान जी इस स्थान से गुजर रहे थे, तो उन्होंने बहुत थकान होने लगी। तब माता सीता के कहने पर हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था। यही कारण है कि इस स्थान पर लेटे हनुमान जी की पूजा की जाती है।

वहीं अन्य कथा के अनुसार, सैकड़ों वर्ष पूर्व एक धनी व्यापारी हनुमान जी की इस मूर्ति को लेकर जा रहा था, तभी उसकी नाव संगम के तट पर पहुंची और हनुमान जी की मूर्ति में यहां गिर गई। व्यापारी ने हनुमान जी की मूर्ति उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो सका। रात में उस व्यापारी को एक सपना आया, जिसमें हनुमान जी उसे दर्शन देते हुए कहा कि वह इस संगम पर ही रहना चाहते हैं। तब व्यापारी ने इस मूर्ति को यहीं रहने दिया।

क्या है मान्यता

कई लोग प्रयागराज संगम के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य प्राप्त करने के लिए लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन करना जरूरी माना जाता है। इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने आता है, बजरंगबली उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

मंदिर की खास बात

इस लेटी प्रतिमा में हनुमान जी ने अपनी एक भुजा से अहिरावण को और दूसरी भुजा से अन्य राक्षस को पकड़ा हुआ है। इस मंदिर की एक खास बात यह भी है, कि हर साल अगस्त महीने में गंगा जी मंदिर में प्रवेश करती हैं और हनुमान जी की प्रतिमा गंगा के जल में पूरी तरह ढक जाती है। ऐसे में कहा जाता है कि गंगा मैया, हनुमान जी को स्नान करवा रही हैं। यानी हर साल गंगा मैया हनुमान जी को स्नान कराने मंदिर पहुंचती हैं।

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