संकष्टी चतुर्थी पर करें इस स्तोत्र का पाठ

हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी की पूजा और व्रत किया जाता है। इस तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह चतुर्थी 28 मार्च को है। मान्यता है कि इस अवसर पर गणपति बप्पा की विशेष पूजा और व्रत करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन पूजा के समय गणेश स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि विधिपूवर्क इस स्तोत्र का पाठ करने से सुख, सौभाग्य और आय में वृद्धि होती है। साथ ही भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। चलिए पढ़ते हैं गणेश स्तोत्र।

गणेश स्तोत्र (Ganesh Stotram Lyrics)

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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