सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ इंद्र योग का हो रहा है निर्माण, प्राप्त होगा अक्षय फल

हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन अमावस्या तिथि पड़ती है। तदनुसार, इस साल 08 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है। सोमवार के दिन पड़ने के चलते यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी। गरुड़ पुराण में निहित है कि सोमवती अमावस्या तिथि पितरों के तपर्ण हेतु सर्वोत्तम होती है। इस दिन पितरों का विधिवत तर्पण करने से व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। अतः बड़ी संख्या में साधक सोमवती अमावस्या तिथि पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान कर भगवान नारायण एवं पितरों की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सोमवती अमावस्या तिथि पर दुर्लभ इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति विशेष के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाएंगे। आइए, योग के बारे में जानते हैं-

शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, सोमवती अमावस्या 08 अप्रैल को देर रात 03 बजकर 21 मिनट (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार) पर शुरू होगी और 08 अप्रैल को ही रात 11 बजकर 50 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि मान होने के चलते 08 अप्रैल को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

इंद्र योग
ज्योतिषियों की मानें तो वर्षों बाद चैत्र अमावस्या पर दुर्लभ और मंगलकारी इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 06 बजकर 14 मिनट तक है। इस योग में पूजा-पाठ और शुभ कार्य करने की अनुमति होती है। हालांकि, खरमास में किसी शुभ कार्य की शुरुआत न करें।

शिववास
सोमवती अमावस्या पर देवों के देव महादेव, जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती संग देर रात 11 बजकर 50 मिनट तक रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि शिव जी के मां पार्वती के संग रहने पर रुद्राभिषेक करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

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