प्रदोष व्रत पर करें इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ

प्रदोष व्रत का सनातन धर्म में बड़ा महत्व है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती की पूजा करते हैं। शनिवार को पड़ने की वजह से इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। इस माह यह व्रत 6 अप्रैल, 2024 दिन शनिवार को रखा जाएगा।

ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस दिन भाव के साथ शिवशक्ति की पूजा करते हैं और कठिन उपवास का पालन करते हैं, उनकी शादी से जुड़ी हर मुश्किलें दूर होती हैं। इसके अलावा प्रदोष के दिन जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र का पाठ भी बेहद फलदायी माना गया है, तो आइए यहां पढ़ते हैं –

।।जानकीकृतं पार्वती स्तोत्र।।

जानकी उवाच

शक्तिस्वरूपे सर्वेषां सर्वाधारे गुणाश्रये।

सदा शंकरयुक्ते च पतिं देहि नमोsस्तु ते।।

सृष्टिस्थित्यन्त रूपेण सृष्टिस्थित्यन्त रूपिणी।

सृष्टिस्थियन्त बीजानां बीजरूपे नमोsस्तु ते।।

हे गौरि पतिमर्मज्ञे पतिव्रतपरायणे।

पतिव्रते पतिरते पतिं देहि नमोsस्तु ते।।

सर्वमंगल मंगल्ये सर्वमंगल संयुते।

सर्वमंगल बीजे च नमस्ते सर्वमंगले।।

सर्वप्रिये सर्वबीजे सर्व अशुभ विनाशिनी।

सर्वेशे सर्वजनके नमस्ते शंकरप्रिये।।

परमात्मस्वरूपे च नित्यरूपे सनातनि।

साकारे च निराकारे सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।

क्षुत् तृष्णेच्छा दया श्रद्धा निद्रा तन्द्रा स्मृति: क्षमा।

एतास्तव कला: सर्वा: नारायणि नमोsस्तु ते।।

लज्जा मेधा तुष्टि पुष्टि शान्ति संपत्ति वृद्धय:।

एतास्त्व कला: सर्वा: सर्वरूपे नमोsस्तु ते।।

दृष्टादृष्ट स्वरूपे च तयोर्बीज फलप्रदे ।

सर्वानिर्वचनीये च महामाये नमोsस्तु ते।।

शिवे शंकर सौभाग्ययुक्ते सौभाग्यदायिनि।

हरिं कान्तं च सौभाग्यं देहि देवी नमोsस्तु ते।।

फलश्रुति

स्तोत्रणानेन या: स्तुत्वा समाप्ति दिवसे शिवाम्।

नमन्ति परया भक्त्या ता लभन्ति हरिं पतिम्।।

इह कान्तसुखं भुक्त्वा पतिं प्राप्य परात्परम्।

दिव्यं स्यन्दनमारुह्य यान्त्यन्ते कृष्णसंनिधिम्।।

(श्री ब्रह्मवैवर्त पुराणे जानकीकृतं पार्वतीस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।)

कलश स्थापना के समय जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ
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