इस विधि से करें स्कंदमाता की पूजा

स्कंदमाता की पूजा से सुरक्षा समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। स्कंदमाता हृदय चक्र से जुड़ी हैं जो प्रेम करुणा और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं। इसलिए माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से हृदय चक्र खुल जाता है और व्यक्ति के जीवन में भावनात्मक संतुलन और सद्भाव की भावना आती है।

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए नवरात्र का समय बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे में जब यह पावन समय चल रहा है, तो देवी भक्तों के लिए इससे अच्छा क्या हो सकता है ? आज चैत्र नवरात्र का पांचवां दिन है। इस दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि जो साधक श्रद्धाभाव के साथ माता रानी की पूजा करते हैं और उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

साथ ही संतान का सुख मिलता है। स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही करुणामयी है। उनके गोद में भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय जी विराजमान हैं, तो आइए मां को कैसे प्रसन्न करना है ? उसके बारे में जानते हैं –

स्कंदमाता पूजन विधि

  • सुबह उठकर पवित्र स्नान करें।
  • पीले वस्त्र धारण करें।
  • एक वेदी पर स्कंदमाता की प्रतिमा स्थापित करें।
  • गंगाजल से माता रानी को स्नान करवाएं।
  • देवी को पीले चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं।
  • पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  • 6 इलायची के साथ 1 केले का भोग लगाएं।
  • घी का दीपक जलाएं।
  • वैदिक मंत्रों का जाप करें।
  • भाव के साथ स्कंदमाता की आरती करें।
  • ब्रह्म मुहूर्त में स्कंदमाता की पूजा शुभ और फलदायी होती है।

स्कंदमाता पूजन का महत्व

चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा का विधान है। स्कंदमाता की पूजा से सुरक्षा, समृद्धि और सभी प्रयासों में सफलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। स्कंदमाता हृदय चक्र से जुड़ी हैं, जो प्रेम, करुणा और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं।

इसलिए, माना जाता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से हृदय चक्र खुल जाता है और व्यक्ति के जीवन में भावनात्मक संतुलन और सद्भाव की भावना आती है। ऐसे में सभी देवी भक्तों को स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

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