कालाष्टमी पर दुर्लभ ‘शिववास’ समेत बन रहे हैं ये 5 शुभ संयोग

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही काल कष्ट दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-

हर माह वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार वैशाख माह की कालाष्टमी 01 मई यानी आज है। यह दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को समर्पित होता है। इस उपलक्ष्य पर मंदिरों में काल भैरव देव की पूजा की जा रही है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु साधक व्रत भी रख रहे हैं। पंडित हर्षित शर्मा जी के अनुसार कालाष्टमी पर दुर्लभ शिववास योग समेत कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। आइए, आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-

आज का पंचांग (Panchang 01 May 2024)

योग

वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर सबसे पहले शुभ योग का निर्माण हो रहा है। यह योग संध्याकाल 08 बजकर 02 मिनट तक है। इसके बाद शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। शुभ और शुक्ल दोनों ही योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाएगी। साथ ही बालव और कौलव करण के भी योग बन रहे हैं।  

शिववास

कालाष्टमी तिथि पर शिववास का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस दिन शिववास का योग दिन भर है। प्रदोष काल में भी भगवान शिव, जगत जननी आदिशक्ति मां पार्वती के साथ रहेंगे। शास्त्रों में निहित है कि भगवान शिव के मां गौरी के साथ रहने के समय में महादेव का अभिषेक करने से घर में सुख, समृद्धि एवं शांति आती है। साथ ही सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं।

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजकर 57 मिनट पर

चन्द्रोदय- देर रात 01 बजकर 49 मिनट पर

चंद्रास्त- सुबह 11 बजकर 39 मिनट पर

पंचांग

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 14 मिनट से 04 बजकर 57 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 24 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06 बजकर 55 मिनट से 07 बजकर 17 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से 01 बजकर 58 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 18 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद

चन्द्रबल

मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन

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