मां दुर्गा की पूजा के समय जरूर करें ये आरती

सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो दुर्गाष्टमी पर विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करें।

हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। इस वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 15 मई यानी आज है। इस दिन बगलामुखी जयंती भी मनाई जाती है। इस उपलक्ष्य पर साधक प्रातः काल से जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मां के जयकारे से मंदिर भक्तिमय हो गया है। सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा की महिमा का गुणगान किया गया है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती हैं। उनकी कृपा से भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो दुर्गाष्टमी पर विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय ये आरती जरूर करें।

मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

जय अम्बे गौरी…

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,…।

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

जय अम्बे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

जय अम्बे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

जय अम्बे गौरी…

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

जय अम्बे गौरी…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

जय अम्बे गौरी…

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

जय अम्बे गौरी…

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

जय अम्बे गौरी…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

जय अम्बे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

जय अम्बे गौरी…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

जय अम्बे गौरी…

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

जय अम्बे गौरी…

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