में जंजीरों से बंधे हैं भगवान भैरव, दाल बाटी का लगाता है भोग…

सनातन धर्म में भगवान भैरव को तंत्र-मंत्र का देवता माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान भैरव की पूजा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं। भगवान भैरव को कालाष्टमी का पर्व समर्पित है। यह त्योहार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर भगवान भैरव की उपासना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सुख-शांति में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है। इस दिन भगवान भैरव के मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। देश में भगवान भैरव को समर्पित एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान की मूर्ति को जंजीरों से बांधकर रखा गया है। आइए जानते हैं इसके रहस्य के बारे में।

भगवान भैरव को समर्पित है मंदिर

केवड़ा स्वामी मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित है। इस मंदिर भगवान भैरव की मूर्ति स्थापित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान भैरव की पूजा 600 वर्षों से हो रही है। यहां जो श्रद्धालु भगवान भैरव की आराधना करता है। उसे सुख-शांति की प्राप्ति होती है और घर में उत्पन्न नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त होती है।

ये है वजह

केवड़ा स्वामी मंदिर में भगवान भैरव की प्रतिमा को जंजीरों से बांधकर रखा गया है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि भगवान भैरव अपने मंदिर को छोड़कर बच्चों के साथ खेलकूद करने के लिए जाते थे। अधिक देर तक खेलने के बाद उनका मन भर जाता था, तो भैरव जी बच्चों को तालाब में फेंक देते थे। इसी वजह से केवड़ा स्वामी मंदिर में स्थापित भगवान भैरव की मूर्ति को जंजीरों से बांध दिया था।

इस चीज का लगता है भोग

हर साल भैरव पूर्णिमा और अष्टमी के अवसर पर मंदिर में अधिक संख्या में श्रद्धालु आते हैं और प्रभु के दर्शन कर दाल बाटी का भोग लगाते हैं।

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