गुरुवार का दिन भगवान मधुसूदन (Tulsi Puja) को समर्पित है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही देवी मां तुलसी की भी पूजा की जाती है। गुरुवार का व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक को मनचाहा वरदान मिलता है।
जगत के पालनहार भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है। तुलसी मां की पूजा करने से भगवान मधुसूदन प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधक या व्रती पर बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
धार्मिक मत है कि तुलसी मां की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। इसके लिए विवाहित और अविवाहित महिलाएं रोजाना पूजा के समय तुलसी मां की पूजा करते हैं। साथ ही संध्याकाल में तुलसी जी की आरती करते हैं। अगर आप भी देवी मां तुलसी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन इस विधि से मां लक्ष्मी की पूजा करें।
तुलसी पूजा विधि
गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त यानी सूर्योदय या सूर्योदय से पहले उठें। इस समय लक्ष्मी नारायण जी को प्रणाम करें। अब घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर पीले रंग के कपड़े पहनें। अब सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद गंगाजल में रोली मिलाकर तुलसी के पौधे को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद लाल रंग की चुनरी अर्पित करें।
पूजा के दौरान शुद्ध घी के दीप जलाकर तुलसी मंत्र का जप करें। आप तुलसी मां के नामों का जप भी परिक्रमा के समय कर सकते हैं। पूजा के दौरान देवी मां तुलसी फल और फूल अर्पित करें। साथ ही तुलसी चालीसा का पाठ करें। इस समय तुलसी की तीन बार परिक्रमा करें। अब प्रसाद अर्पित करें। अंत में तुलसी आरती के साथ पूजा का समापन करें। इस समय देवी मां तुलसी से सुख, समृद्धि एवं शांति की कामना करें।
॥ श्री तुलसी जी की आरती ॥
जय जय तुलसी माता, सबकी सुखदाता वर माता।
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,
रुज से रक्षा करके भव त्राता।
जय जय तुलसी माता…
बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
जय जय तुलसी माता…
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि, तुम हो विख्याता।
जय जय तुलसी माता…
लेकर जन्म बिजन में आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख सम्पत्ति पाता।
जय जय तुलसी माता…
हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता।
जय जय तुलसी माता…