आज यानी गुरुवार 15 मई के दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। हर वर्ष सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तब संक्रांति का पावन पर्व मनाया जाता है।
इसी क्रम में, जब सूर्य देव वृषभ राशि में प्रवेश करते हैं, तब वृषभ संक्रांति मनाई जाती है। इस वर्ष यह शुभ तिथि 15 मई 2025, गुरुवार को पड़ रही है।
पुण्य कर्मों के लिए विशेष अवसर
वृषभ संक्रांति का दिन स्नान, दान, जप, और श्राद्ध कर्मों के लिए अत्यंत फलदायक माना गया है। इस दिन किए गए पुण्यकर्मों से न केवल पितृ प्रसन्न होते हैं, बल्कि भगवान सूर्य नारायण की कृपा भी प्राप्त होती है।
आज कर सकते हैं ये काम
आज के दिन तिल, घी, गुड़, जल, और वस्त्र का दान शुभ माना जाता है।
गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न एवं दक्षिणा देने से अत्यंत पुण्य प्राप्त होता है।
ज्योतिषीय महत्व
वृषभ राशि एक स्थिर भूमि तत्व की राशि है। इस संक्रांति से जुड़ा समय धन, भूमि, संपत्ति, और पारिवारिक सुखों से संबंधित कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। विशेष रूप से वे जातक जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ भावों में स्थित हैं, उन्हें इस संक्रांति से दीर्घकालिक लाभ मिल सकता है।
पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए astropatri.com के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 15 May 2025) पंचांग।
आज का पंचांग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की कृष्ण तृतीया- प्रात: 04:02 तक, 16 मई
संवत् – 2082
नक्षत्र – ज्येष्ठ नक्षत्र- दोपहर 02:07 बजे तक, 15 मई
मूल नक्षत्र – दोपहर 04:07 तक, 16 मई
योग – शिव योग प्रात: 07:02 तक, फिर सिद्ध योग
करण- वणिज दोपहर 03:18 तक, विष्टि प्रात: 04:02 तक, 16 मई
वार – गुरुवार
ऋतु – ग्रीष्म
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय- सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर
सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 05 मिनट पर
चंद्रोदय- शाम 9 बजकर 47 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 06:58 बजे, 16 मई
शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – प्रात: 11:50 से दोपहर 12:45 तक
अशुभ समय
राहुकाल – दोपहर 01:59 से दोपहर 03:41 तक
गुलिक काल – प्रात: 08:54 से प्रात: 10:36 तक
यमगंडा – प्रात: 05:30 से प्रात: 07:12 तक
आज के नक्षत्र के बारे में जानिए
आज चंद्रदेव ज्येष्ठ नक्षत्र से मूल नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। ज्येष्ठ नक्षत्र- दोपहर 02:07 बजे तक, 15 मई तक रहेगा।
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्मे जातक सफल, प्रेम के प्रति संवेदनशील, मित्रता, संवेदनशील, प्रतिष्ठित, प्रसिद्धि, प्रतिभाशाली, रचनात्मक होते हैं।
प्रतीक: कान की बाली ( जो विष्णु चक्र के समान है)
पशु प्रतीक: नर हिरण
स्वामी ग्रह: बुध
स्वभाव: राक्षस (दानव)
अधिष्ठाता देवता: इंद्र- वज्र के देवता
मूल नक्षत्र- दोपहर 04:07 तक, 16 मई तक रहेगा।
सामान्य विशेषताएं: इस नक्षत्र में जन्मे जातक स्थिर मन, अनुशासन, आक्रामक, उदारदानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाला, उदास, अभिमानी होते हैं।
नक्षत्र स्वामी: केतु
राशि स्वामी: बृहस्पति
देवता: निरति (विनाश की देवी)
प्रतीक: पेड़ की जड़ें
अशुभ समय खंड की सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक दिन को कुछ विशेष समय खंडों में बांटा गया है, जिनमें से कुछ को नए अथवा महत्वपूर्ण कार्य आरंभ करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
राहु काल- यह समय राहु देव से संबंध रखता है। इसे भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिणामों से जुड़ा माना जाता है। आमतौर पर इस काल में यात्रा, निवेश, या नए कार्य की शुरुआत न करने की हिदायत है। ध्यान, साधना और आत्मचिंतन के लिए यह समय उपयुक्त है।
यम गंड- यह समय यम देव से जुड़ा होता है, जो अनुशासन और नियति का प्रतीक हैं। यम गंड में भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा आरंभ करने से बचने की सलाह दी जाती है। यह काल आत्मनियंत्रण और संयम के लिए उपयुक्त माना गया है।
गुलिक काल- यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित है। यह समय कुछ परंपराओं में निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ग्रंथों में तो इसे दीर्घकालिक कार्यों या आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अच्छा बताया गया है।