रविवार के दिन बन रहे हैं कई शुभ-अशुभ योग, पंचांग से जानें मुहूर्त

आज रविवार 18 मई के दिन ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग भी बन रहे हैं, जो व्यक्ति को अलग-अलग परिणाम देते हैं। ऐसे में आइए एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग।

आज का पंचांग
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि – प्रातः 5 बजकर 57 मिनट तक फिर षष्ठी तिथि शुरू हो जाएगी

संवत – 2082
नक्षत्र – पूर्वाषाढ़ा
योग – शुभ प्रातः 6 बजकर 43 मिनट तक

करण
तैतिल – प्रात: 5 बजकर 57 मिनट तक, गरज शाम 6 बजकर 8 मिनट तक

वार – रविवार

ऋतु – ग्रीष्म

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय – सुबह 5 बजकर 29 मिनट पर

सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 7 मिनट पर

चंद्रोदय- रात 12 बजकर 8 मिनट पर

चंद्रास्त- रात 9 बजकर 49 मिनट पर

शुभ समय
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:50 से दोपहर 12:45 तक

अशुभ समय
राहुकाल – शाम 05:24 बजे से शाम 07:07 बजे तक

गुलिक काल – दोपहर 03:42 बजे से शाम 05:24 बजे तक

यमगंडा – दोपहर 12:18 बजे से दोपहर 02: 00 बजे तक

दिन के विशेष अशुभ समय खंड – एक सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, हर दिन में कुछ विशेष समय खंड जैसे राहुकाल, यमगंड और भद्राकाल को अशुभ माना जाता है, जिनमें कोई नया या महत्वपूर्ण कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

राहुकाल –
यह समय राहु देव से संबंधित माना जाता है, जो ज्योतिष में भ्रम, अनिश्चितता, और अप्रत्याशित घटनाओं के प्रतीक हैं। इसलिए राहुकाल को अशुभ माना गया है और इस दौरान कोई भी नया कार्य, यात्रा, निवेश या महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है। यह काल मानसिक अशांति या असफलता का कारण बन सकता है, इसलिए सावधानी आवश्यक होती है। हालांकि, यह समय आत्मचिंतन, ध्यान, मंत्र जप, और आध्यात्मिक साधना के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिससे व्यक्ति को आंतरिक शांति और राहु की अनुकूलता प्राप्त हो सकती है।

यम गण्ड –
यह समय यम देव से संबंधित होता है, जो मृत्यु और नियति के देवता माने जाते हैं। यमगंड काल को ज्योतिष में अशुभ माना जाता है, इसलिए इस समय में किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत या यात्रा करना उचित नहीं होता। यह समय अच्छे परिणाम देने के बजाय समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। हालांकि, यमगंड काल का उपयोग आत्मनियंत्रण, संयम, और धैर्य की साधना के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह समय मानसिक शक्ति और आत्म-नियंत्रण बढ़ाने के लिए उपयुक्त होता है।

गुलिक काल –
यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित होता है, और कुछ परंपराओं में इसे निरपेक्ष या मध्यम रूप से शुभ माना गया है। कई ज्योतिष ग्रंथों में इस समय को दीर्घकालिक कार्यों, जैसे किसी बड़े प्रोजेक्ट की शुरुआत, या आध्यात्मिक अभ्यास, साधना और साधारण कार्यों के लिए उपयुक्त बताया गया है। इस समय में कार्यों में बाधाएं कम होती हैं और यह दीर्घकालिक सफलता का रास्ता खोल सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान –
ये समय खंड किसी भय या अशुभता का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि एक ऊर्जात्मक सावधानी (जब ऊर्जा थोड़ी अनियमित या अशांत हो सकती है) का संकेत देते हैं। यदि आप कोई विशेष या शुभ कार्य आरंभ करना चाहें, तो इन समयों को टालना बेहतर हो सकता है, लेकिन ये किसी भी रूप में बाधक नहीं हैं। सर्व समर्थ ईश्वर का नाम सभी कालों से सर्वोपरि है |

आज का नक्षत्र –

आज चंद्रदेव उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश करेंगे।

उत्तरा आषाढ़ नक्षत्र – शाम 06:52 बजे तक

सामान्य विशेषताएं – व्यावहारिक, संगठित, मेहनती, धैर्यवान, सौम्य, दयालु, मजबूत और मांसल शरीर, लंबी नाक, नुकीले नयन-नक्श

नक्षत्र स्वामी – सूर्य

राशि स्वामी – बृहस्पति, शनि

देवता – विश्वदेव (धर्म ऋषि और विश्वा के पुत्र)

प्रतीक – हाथी का दांत या छोटा बिस्तर

रविवार की पूजा में करें इस चालीसा का पाठ, कारोबार में खूब होगी वृद्धि
कालाष्टमी पर ऐसे करें भोलेनाथ को प्रसन्न, मिलेगा मनचाहा फल

Check Also

देवशयनी एकादशी पर इस विधि से करें श्री हरि की पूजा

देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी गई है, क्योंकि इस …