आषाढ़ माह के पहले शुक्रवार पर बन रहे हैं कई योग, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

आज यानी 13 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। इस तिथि पर शुक्रवार व्रत किया जा रहा है। सनातन धर्म में शुक्रवार व्रत का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही धन-धान्य, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। द्वितीया तिथि पर कई योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग।

तिथि: कृष्ण द्वितीया
मास पूर्णिमांत: आषाढ
दिन: शुक्रवार
संवत्: 2082
तिथि: द्वितीय दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक
योग: शुक्ल दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक
करण: गरज दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक
करण: वनिज प्रातः 03 बजकर 35 मिनट तक, 14 जून

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रोदय: रात 09 बजकर 24 मिनट पर
चन्द्रास्त: सुबह 06 बजकर 43 मिनट पर
सूर्य राशि: वृषभ
चंद्र राशि: धनि
पक्ष: कृष्ण

शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक

गुलिक काल: प्रात: 07:07 बजे से प्रात: 08:52 बजे तक

यमगंडा: दोपहर 03:51 बजे से शाम 05:35 बजे तक

राहु काल: प्रात: 10:37 बजे से दोपहर 12:21 बजे तक

अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: प्रात 07 बजकर 07 मिनट से प्रात 08 बजकर 52 मिनट तक

यमगंडा: दोपहर 03 बजकर 51 मिनट से शाम 05 बजकर 35 बजे मिनट तक

राहु काल: प्रात: 10 बजकर 37 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक

आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पूर्वाषाढ़ नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…

पूर्वाषाढ़ नक्षत्र: रात्रि 11 बजकर 21 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: आत्मविश्वासी, सौभाग्यशाली, धार्मिक, बुद्धिमान, दयालु, खर्चीले, लंबा कद, परोपकारी, विनम्रता

नक्षत्र स्वामी: शुक्र

राशि स्वामी: बृहस्पति

देवता: अपस (ब्रह्मांडीय महासागर)

प्रतीक: हाथी का दांत और पंखा

मां लक्ष्मी के मंत्र

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

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