आइये छठ गीतों से हो जाएं सूर्य भक्ति में लीन
अब छठ की बात हो और छठ के गीतों का जिक्र ना आए ये कैसे हो सकता है। ध्यान देने की बात है इन गीतों की लय जो अपना अमिट प्रभाव छोड़ती है। इन गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लए में गाए जाते हैं और सालों साल जब भी ये दिन आता है इस लय में छठ के गीतों को गुनगुनाने में बेहद आनंद आता है। पहले हम उस छठ गीत की चर्चा करते हैं जिसे भोजपुरी लोक गीतों की गायिका देवी, शारदा सिन्हा और अनुराधा पौडवाल ने समय समय पर गाया है। यह गीत इतने भावनात्मक अंदाज में गाया जाता है कि सुनने वाले की आँखें भर आती हैं।
छठ में सूर्य की अराधना के लिए जिन फलों का प्रयोग होता है उनमें केला और नारियल का प्रमुख स्थान है। नारियल और केले की पूरी घौद गुच्छा इस पर्व में प्रयुक्त होते हैं। इस गीत में एक ऐसे ही तोते का जिक्र है जो केले के ऐसे ही एक गुच्छे के पास मंडरा रहा है। तोते को डराया जाता है कि अगर तुम इस पर चोंच मारोगे तो तुम्हारी शिकायत भगवान सूर्य से कर दी जाएगी जो तुम्हें नहीं माफ करेंगे। पर फिर भी तोता केले को जूठा कर देता है और सूर्य के कोप का भागी बनता है। पर उसकी भार्या सुगनी अब क्या करे बेचारी? कैसे सहे इस वियोग को ? अब तो ना देव या सूर्य कोई उसकी सहायता नहीं कर सकते आखिर पूजा की पवित्रता जो नष्ट की है उसने।
छठ का पौराणिक गीत
केरवा जे फरेला घवद से/ ओह पर सुगा मेड़राय
उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से/ सुगा देले जुठियाए
उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से/ सुगा गिरे मुरझाय
उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से/ आदित होइ ना सहाय
देव होइ ना सहाय।
इसी तरह कविता पौडवाल के स्वर में एक और लोकप्रिय छठ गीत है-
पटना के हाट पर नरियर कीनबे जरूर
छठी मैया हसिया पूरन हो
रखी सभी छठ के बरात मनावो
अगना में पोखरी खानिब
छठ का एक एल्बम बहुत मशहूर हुआ जिसे भोजपुरी लोकगीत गायकों में सबसे अधिक लोकप्रिय गायक-संगीतकार भरत शर्मा ‘व्यास’ ने अनुराधा पौडवाल के साथ आवाज़ दी थी और संगीत भी दिया था। इस अल्बम का नाम था- आहो दीनानाथ। इसमें स्वर- अनुराधा पौडवाल और भरत शर्मा ‘व्यास’ के थे और बोल – आलोक शिवपुरी के। संगीत- भरत शर्मा ‘व्यास’ का था।
गीत के बोल थे-
पटना के घाट पर देलू अरगवा केकरा
कार्तिक में ऐहू परदेसी बलम घर
फलवा से भरल दौरिया उसपे पियरी
नैहरे में करबो परब हम
साँझ भईल सूरज डुबिहे चल
आहो दीनानाथ दरसन दीजिए
बाझीन पर बैठ बाघिन बन छठ
चैती के छठवा तो हल्का बुझाला
रोजे-रोजे उगेला फजिराही आधी
एक और एल्बम गीत आपके लिए लेकर आये हैं जिसे भोजपुरी और अंगिका लोकगीतों के मशहूर गायक सुनील छैला बिहारी, गायिका तृप्ति शाक्या गायिका अनुराधा पौडवाल ने आवाज़ दी है।
एल्बम का नाम है- उगऽहो सूरज देब हमार
स्वर- सुनील छैला बिहारी, अनुराधा पौडवाल, तृप्ति शाक्या
बोल- राम मौसम, बिनय बिहारी, सुनील छैला बिहारी तथा कुछ पारम्परिक गीत
संगीत- सुनील छैला बिहारी
छठी मैया आही जइयो मोर अंगना
छठी मैया के महिमा छे भारी
छठी माई के दौरा रखे रे बबुआ
चारी ओ घाट के तलैया जलवा उमरत
कखनो रवि बन के कखनो आदित
दलिइवा कबूल करअ गगन बिहारी
भूऊल माफ करियअ हे छठी मैया
कहवाँ तोहार नहिरा गे धोबिन कहवाँ
कहवाँ-कहवाँ के सुरजधाम छै नामी
दोहरी कल सुपने सविता अरग देबे
काहे लगे सेवें तुलसी-खरना गीत
अंत में एक रोचक छठ लोक गीत कि कुछ पंक्तियाँ :-
पती :-हाजीपुर केलवा महंग भईले धनिया (पत्नी),
छोड़ी देहु अहे धनि ,छठी रे वरतिया,
पत्नी :-हम कईसे छोडब प्रभु छठी रे बरतिया,
छठी रे बरतिया मोरा प्राण के अधरवा
पती :-दउरा, फल, सुपवा महंग भईले धनिया
कईसे तू करबू धनी छठी ओ बरतिया
पत्नी :- हम नहीं छोडब प्रभु छठी रे बरतिया
छठ ब्रत से बढल कूल-परिवरवा
छठ ब्रत बाटे प्राण के अधरवा
पती (सहमत होने के बाद):-तोहरा संग हमहूँ करब छठी रे बरतिया
पत्नी :-छठी रे बरतिया भईले गोदी में बालकवा
अन्न ,धन्न ,लक्ष्मी बढल नईहर ससुररवा !
ईस छोटे से बिहारी छठ -गीत के पीछे ईस ब्रत कि लोकप्रियता और आस्था छुपी है !!
छठ एक ऐसा पर्व है जिसे गरीब से गरीब परिवार भी उतनी ही आस्था और विश्वास के साथ मनाता है जितना कि अमीर परिवार ! ईस पर्व में सबसे रोचक बात देखने को ये मिलती है कि, घाट पे पूजा के दौरान दुश्मन,दोस्त अमीर,गरीब ,ऊँचे, नीचे सभी तबके के लोग एक परिवार कि तरह होते हैं। पूजा के दौरान एक-दूसरे के सूप पे गौ दूध से अरग देना, पूजा खतम होने के बाद प्रसाद बाटना। एक अजीब सी समां बंध जाता है घाट पे। ऐसा लगता है कि हमारा उत्सव प्रिय समूचा भारत घाट पर सिमट आया है।