सावन महीने की शुरुआत होने वाली है। यह महीना देवों के देव महादेव को बेहद प्रिय है। इस महीने में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर एक कामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है।
सनातन शास्त्रों में सावन महीने की महिमा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती धरती लोक पर आते हैं। अतः श्रद्धा भाव से शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सावन महीने में कब कर्क संक्रांति मनाई जाएगी? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
कब मनाई जाती है संक्रांति?
सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके बाद सूर्य देव की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। वहीं, पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान करते हैं।
सूर्य राशि परिवर्तन
वर्तमान समय में सूर्य देव मिथुन राशि में विराजमान हैं। मिथुन राशि में सूर्य देव 15 जुलाई तक रहेंगे। इसके अगले दिन यानी 16 जुलाई को सूर्य देव कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस शुभ अवसर पर कर्क संक्रांति मनाई जाएगी। आसान शब्दों में कहें तो 16 जुलाई को कर्क संक्रांति है। इस दिन सूर्य देव शाम 05 बजकर 40 मिनट पर कर्क राशि में गोचर करेंगे।
कर्क संक्रांति शुभ मुहूर्त
सूर्य देव 16 जुलाई को कर्क राशि में गोचर करेंगे। इस दिन स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप के लिए शुभ समय सुबह 05 बजकर 40 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 40 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल दोपहर 03 बजकर 22 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 40 मिनट तक है। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा कर सकते हैं।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
चंद्रोदय- रात 10 बजकर 57 मिनट पर
चंद्रास्त- सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 12 मिनट से 04 बजकर 53 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
Shree Ayodhya ji Shradhalu Seva Sansthan राम धाम दा पुरी सुहावन। लोक समस्त विदित अति पावन ।।