सावन में भगवान शिव का करना चाहते हैं रुद्राभिषेक, नोट कीजिए ये खास तिथियां

सावन का पवित्र महीना चल रहा है, जिसमें शिवलिंग का अभिषेक करके भोलेनाथ के भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करते हैं। रुद्राभिषेक में शिवलिंग पर जल, दूध, घी, शहद और गंगाजल अर्पित किया जाता है। भगवान शिव इससे प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

सावन के महीने में सोमवार को रुद्राभिषेक किया ही जाता है। मगर, इसके अलावा कुछ और तिथियां हैं, जिसमें रुद्राभिषेक करना महत्वपूर्ण होता है। सावन की पूर्णिमा और प्रदोष के दिन भी रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। यदि संभव हो, तो ब्राह्मण के द्वारा विधि-विधान के साथ रुद्राभिषेक कराएं।

रुद्राभिषेक के लाभ
यदि ऐसा संभव नहीं हो, तो घर पर ही श्रद्धा के साथ ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करें। इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और आरोग्य मिलता है।

इसके अलावा ग्रहों की बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं। रुद्राभिषेक करने से जातक के सभी रोग, दोष और भय दूर होते हैं। संतान की प्राप्ति, शीघ्र विवाह, करियर में सफलता, धन वृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और मानसिक शांति आदि के लिए भी रुद्राभिषेक किया जाता है।

जानिए रुद्राभिषेक के लिए शुभ तिथियां
सावन का दूसरा सोमवार- 21 जुलाई 2025

सावन का तीसरा सोमवार- 28 जुलाई 2025

सावन का चौथा सोमवार- 4 अगस्त 2025

सावन का पहला प्रदोष- 22 जुलाई 2025

सावन माह की शिवरात्रि- 23 जुलाई 2025

नाग पंचमी- 29 जुलाई 2025

सावन का दूसरा प्रदोष- 6 अगस्त 2025

सावन पूर्णिमा- 9 अगस्त

रुद्राभिषेक कब करें और कब नहीं
शिव योग की तिथि, ब्रह्म मुहूर्त, प्रदोष काल या अमृत काल में रुद्राभिषेक करना उत्तम होता है। सुबह 4.00 बजे से लेकर 5.30 बजे तक का समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। वहीं, प्रदोष काल सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय होता है। इसके अलावा राहुकाल के समय कभी भी रुद्राभिषेक नहीं करना चाहिए।

भोलेनाथ के त्रिनेत्र और त्रिशूल का है प्रतीक बेलपत्र, जानें शिव पूजा में इसका महत्व और कैसे हुई उत्पत्ति
शिवालय जा रहे हैं या तीर्थ यात्रा पर, इन बातों का ध्यान रखेंगे तो ही मिलेगी कृपा

Check Also

चातुर्मास में जरूर करें इन चीजों का दान, खींची चली आएगी सुख-समृद्धि

आषाढ़ शुक्ल एकदाशी यानी देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक मान्यताओं …