धार्मिक मान्यता के अनुसार कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi Vrat 2025) का विधिपूर्वक व्रत करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। इस दिन व्रत कथा ( Kamika Ekadashi Vrat Katha) का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
हर माह कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विधान है। सनातन शास्त्रों में कामिका एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष में कामिका एकादशी (Kamika Ekadashi Vrat Katha in Hindi) मनाई जाती है। इस बार आज यानी 21 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत किया जा रहा है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से जीवन में सफलता मिलती है और भगवान विष्णु साधक की सभी मुरादें पूरी करते हैं। अगर आप भी व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं, तो कामिका एकादशी के दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और व्रत कथा का पाठ करें।
व्रत कथा का पाठ करने से साधक को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों से छुटकारा मिलता है। आइए पढ़ते हैं कामिका एकादशी की व्रत कथा।
कामिका एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi 2025 Shubh Muhurt)
सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 21 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर
सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 21 जुलाई को सुबह 09 बजकर 38 मिनट पर
कामिका एकादशी व्रत कथा (Kamika Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक गांव में पहलवान रहता था। वह अधिक क्रोध करता था। इसलिए उसकी किसी न किसी से बहस हो जाती थी। एक बार ऐसा समय आया कि उसका किसी ब्राह्मण से झगड़ा हो गया। उसने क्रोध में आकर ब्राह्मण की हत्या कर दी, जिसकी वजह से उस पर ब्राह्मण हत्या का दोष लग गया। इसके बाद वह ब्राह्मण के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गया, तो पंडितों ने उसे वहां से भगा दिया।
पंडितों ने पहलवान को ब्रह्माण की हत्या का दोषी मानकर बहिष्कार किया और पंडितों ने पहलवान के घर धार्मिक काम करने से मना कर दिया और सामाजिक बहिष्कार कर दिया। पहलवान ने साधु से इस दोष को दूर करने के लिए उपाय पूछा। तो साधु ने सावन माह के कृष्ण पक्ष की कामिका एकदाशी व्रत करने की सलाह दी। इसके बाद पहलवान ने विधिपूर्वक कामिका एकदाशी व्रत किया। इसके बाद पहलवान को सपने में श्रीहरि के दर्शन हुए। उसने सपना देखा कि भगवान विष्णु ने हत्या दोष से मुक्त कर दिया। तभी से कामिका व्रत करने की शुरुआत हुई।