कब मनाया जाएगा सावन महीने का अंतिम प्रदोष व्रत?

सनातन धर्म में त्रयोदशी तिथि (Budh Pradosh Vrat 2025) का खास महत्व है। कहते हैं कि त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा करने वाले साधक को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।

सावन माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह दिन पूर्णतया भगवान शिव और देवी मां पार्वती को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।

धार्मिक मत है कि सृष्टि के रचयिता भगवान शिव की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं। साथ ही सभी प्रकार के रोग, दोष, दुख और भय दूर हो जाते हैं। साधक प्रदोष व्रत के दिन श्रद्धा भाव से बाबा की पूजा करते हैं। आइए, सावन माह के अंतिम प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 06 अगस्त को भारतीय समयानुसार दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 07 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि का समापन होगा। सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पूजा का शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है।

बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat 2025 Kab Hai)
जानकारों की मानें तो प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार मिलता है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। बुध प्रदोष व्रत करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है। साथ ही कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। बुध के मजबूत होने से कारोबार संबंधी परेशानी दूर होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृ्द्धि होती है।

बुध प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव कैलाश पर देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस दौरान भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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