हरियाली तीज (Hariyali Teej Vivah Upay) के दिन कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक पर मां पार्वती की कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से जीवन में सुखों का आगमन होगा। अविवाहित लड़कियां शीघ्र शादी के लिए हरियाली तीज के दिन शिव-शक्ति की पूजा करती हैं। भगवान शिव की पूजा करने से हर परेशानी दूर होती है।
रविवार 27 जुलाई को हरियाली तीज मनाई जाएगी। यह पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए हरियाली तीज के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित लड़कियां भी शीघ्र शादी के लिए भी व्रत करती हैं।
मत है कि हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से मनचाही मुराद पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। हरियाली तीज के दिन मंदिरों में शिव-शक्ति की विशेष पूजा की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो भगवान शिव की पूजा करने से अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। अविवाहित लड़कियां शीघ्र विवाह के लिए हरियाली तीज के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
विवाह मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम:
ॐ सृष्टिकर्ता मम विवाह कुरु कुरु स्वाहा”
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा”
ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि ।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रलाभं च देहि मे ॥
हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया।
मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम्॥
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्द गोपसुतं देवि पति में कुरुते नम:।।
ॐ देवेन्द्राणि नमस्तुभ्यं देवेन्द्रप्रिय भामिनि।
विवाहं भाग्यमारोग्यं शीघ्रं च देहि मे ।।
ॐ शं शंकराय सकल जन्मार्जित पाप विध्वंस नाय पुरुषार्थ
चतुस्टय लाभाय च पतिं मे देहि कुरु-कुरु स्वाहा ।।
मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।।
ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
आशुतोष शशाँक शेखर
आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥
निर्विकार ओमकार अविनाशी, तुम्ही देवाधि देव,
जगत सर्जक प्रलय करता, शिवम सत्यम सुंदरा ॥
निरंकार स्वरूप कालेश्वर, महा योगीश्वरा,
दयानिधि दानिश्वर जय, जटाधार अभयंकरा ॥
शूल पानी त्रिशूल धारी, औगड़ी बाघम्बरी,
जय महेश त्रिलोचनाय, विश्वनाथ विशम्भरा ॥
नाथ नागेश्वर हरो हर, पाप साप अभिशाप तम,
महादेव महान भोले, सदा शिव शिव संकरा ॥
जगत पति अनुरकती भक्ति, सदैव तेरे चरण हो,
क्षमा हो अपराध सब, जय जयति जगदीश्वरा ॥
जनम जीवन जगत का, संताप ताप मिटे सभी,
ओम नमः शिवाय मन, जपता रहे पञ्चाक्षरा ॥
आशुतोष शशाँक शेखर, चन्द्र मौली चिदंबरा,
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा ॥
कोटि नमन दिगम्बरा..