आज मनाया जा रहा है पारसी नववर्ष, जानिए इससे जुड़ी मान्यताएं

कई स्थानों पर नवरोज यानी पारसी नववर्ष साल में दो बार मनाया जाता है। दुनियाभर में पारसी समुदाय के लोग पारसी पंचांग के पहले महीने फर्वादिन के पहले दिन यानी 21 मार्च को मनाते हैं। लेकिन वहीं भारत में पारसी न्यू ईयर शहंशाही कैलेंडर का अनुसार मनाया जाता है। ऐसे में इस बार भारत में यह उत्सव 15 अगस्त को मनाया जा रहा है।

पारसी कैलेंडर में सौर गणना की शुरुआत करने वाले महान फारसी राजा जमशेद जी के नाम पर पारसी नववर्ष को नवरोज या जमशेदी नवरोज के नाम से भी जाना जाता है। नवरोज या नौरोज कहे जाने वाला यह पर्व भारत में हर साल जुलाई और अगस्त महीने के बीच में पड़ता है। नवरोज शब्द फारसी भाषा के दो शब्दों ‘नव’ और ‘रोज’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है ‘नया दिन’। चलिए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी परंपराएं।

नवरोज का इतिहास और महत्व
पारसी धर्म जिसे जोरोस्ट्रायनिज्म कहा जाता है, दुनिया के सबसे पुराने एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है। नवरोज का इतिहास लगभग 3,000 साल पुराना माना जाता है, जिसकी शुरुआत फारस में पैगंबर जरथुस्त्र द्वारा की गई थी। पारसी धर्म में इस दिन को केवल नववर्ष के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत, नई उम्मीदों और नए साल की शुभकामनाओं का भी प्रतीक है।

इस तरह मनाया जाता है नवरोज
पारसी नव वर्ष पर लोग अपने घरों की अच्छे से साफ-सफाई करते हैं और उसके बाद घर को फूलों और रंगोली से सजाते हैं। साथ ही इस दिन अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। साथ ही पिछले वर्ष की गलतियों के लिए क्षमा याचना करते हैं और प्रेम एवं शांति के साथ नए साल का स्वागत करते हैं।

इस दिन लोग अपने पारंपरिक कपड़े पहनते हैं और अग्नि मंदिर जाते हैं, जिसे ‘अगियारी’ कहा जाता है। साथ ही पवित्र अग्नि में दूध, फूल, फल और चंदन अर्पित करते हैं। साथ ही इस दिन लोग पारसी व्यंजन बनाते हैं और दोस्तो व परिवारजनों से साथ उसका आनंद लेते हैं।

क्या हैं ‘चार एफ’
पारसी नववर्ष या नवरोज मुख्य रूप से ‘चार एफ’ पर केंद्रित होता है जिसमें आग (Fire), सुगंध (Fragrance), भोजन (Food) और दोस्ती (Friend) शामिल है। इस दिन मेज पर शुभ मानी जाने वाली वस्तुएं जैसे धार्मिक पुस्तक, दर्पण, अगरबत्ती, फल-फूल, सिक्के, मोमबत्तियां, सुनहरी मछली से भरा कटोरा और जरथुस्त्र की तस्वीर आदि रखी जाती है। इन सभी वस्तुओं को सकारात्मक ऊर्जा से भरे वर्ष की आशा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

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